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________________ पौराणिक महाकाव्य नाम पर या पुराणसारसंग्रह या चतुर्विंशतिजिनेन्द्रचरित्र, त्रिषष्टिस्मृति आदि नाम से भी बनी। इस विषय का प्राकृत ग्रन्थ 'चउपन्नमहापुरिसचरियं' और 'कहावलि' भी उल्लेखनीय है। संस्कृत में विरचित हेमचन्द्राचार्य का 'त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित' महान् आकर ग्रन्थ है। उसमें ही अनेक पौराणिक महाकाव्यों का समावेश है। उसके लघुसंस्करण रूप कतिपय रचनाएँ मिली हैं। उनका क्रमशः विवेचन प्रस्तुत किया जायगा। रामायण, महाभारत तथा महापुराणों के पश्चात् अलग-अलग तीर्थंकरों के जीवनचरित अधिक संख्या में पाये जाते हैं जो १० वी से १८ वी शताब्दी तक लिखे गए थे। उनका विवेचन भी क्रमशः प्रस्तुत किया जायगा । राम-विषयक पौराणिक महाकाव्य : पउमचरिय-प्राकृत भाषा में निबद्ध यह कृति जैन पुराण साहित्य में सबसे प्राचीन कृति है। इसमें जैन मान्यतानुसार रामकथा का वर्णन है। यह ग्रन्थ ११८ अधिकारों में विभक्त है जिनमें कुल मिलाकर ८६५१ गाथाएँ हैं जिनका मान १२ हजार श्लोक प्रमाण है। ___ इसमें राम का नाम पद्म दिया गया है, वैसे राम नाम भी ग्रन्थ में व्यवहृत हुआ है। इस ग्रन्थ के रचने में ग्रन्थकार का मूल उद्देश्य यह था कि वह प्रचलित राम-कथा के ब्राह्मण रूप के समान अपने सम्प्रदाय के लोगों के लिए जैन रूप प्रस्तुत करे। कितनी ही बातों में इसकी कथा वाल्मीकि रामायण से भिन्न है । लगता है कि विमलसूरि के सम्मुख रामकथा सम्बन्धी कुछ ऐसी सामग्री भी उपस्थित थी जो वाल्मीकि रामायण में उपलब्ध नहीं थी या कुछ भिन्न थी, जैसे राम का स्वेच्छापूर्वक वनवास, स्वर्णमृग की अनुपस्थिति, सीता का भाई भामण्डल, राम और हनुमान के अनेक विवाह, सेतुबंध का अभाव आदि । इस ग्रन्थ की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें रावण, कुम्भकर्ण और सुग्रीव, हनुमान आदि राक्षसों और वानरों को दैत्यों और पशुओं के रूप में चित्रित नहीं किया बल्कि उन्हें सुसंस्कृत मनुष्य जाति के रूप में दिखाया गया है। १. प्राकृत अन्य परिषद्, वाराणसी, १९६२. ग्रन्थ का नाम प्रत्येक सर्ग के अन्त में 'पउमचरियम्' दिया हुआ है। इसे यदाकदा राघवचरित, रामदेवचरित और रामारविन्दचरित भी कहा गया है । इसके अतिरिक्त इसकी पुराण संज्ञा भी दी गई है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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