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________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास तपागच्छ की मुख्य शाखा और प्रशाखाओं की अनेक पट्टा वलियाँ यथाउपाध्याय गुणविजयगणिकृत तपागणयतिगुणपद्धति. उपाध्याय मेघविजयकृत तपागच्छ पट्टावली, उपाध्याय रविवर्धनकृत पट्टावलीसारोद्धार, नय सुन्दरकृत बृहत् शालिक पट्टावली ( प्राकृत ), लघु- पौषधशालिक पट्टावली, तपागच्छसागरशाखा-पट्टावली १-२-३, विजय संविग्नशाखा - पट्टावली, सागरसंविग्नशाखा, विमलसंविग्नशाखा, पार्श्वचन्द्रगच्छ पट्टावली १-२, बृहद्गच्छ गुर्वावली, उकेशगच्छीय-पट्टावली, पौर्णमिकगच्छ-पट्टावली, अंचलगच्छ-पट्टावली, पल्लिवाल - गच्छीय पट्टावली आदि पट्टावलीपरागसंग्रह में पं० कल्याणविजयगणि ने संकलित की हैं। उनका वैशिष्ट्य एवं महत्त्व उक्त ग्रन्थ में ही द्रष्टव्य है । दिगम्बर सम्प्रदाय की कुछ पट्टावलियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है : सेनपट्टावली : सेनगण की दो पट्टावलियाँ मिलती हैं। पहली' संस्कृत के ४७ पद्यों में है जो भट्टारक लक्ष्मीसेन ( सं० १५८० के लगभग ) तक है । ४५६ - दूसरी संस्कृत गद्य में लिखी गई लगभग ५० अनुच्छेदों की रचना है ' जिसमें सेनगण के ४७ वें पट्टधर दिल्ली सिंहासन के अधीश्वर छत्रसेन भट्टारक की गुरुपरम्परा का वर्णन है । गणना के अनुसार छत्रसेन सेनगण के ४७वे भट्टारक थे जिनका समय सं० १७५४ था । दोनों पट्टावलियों में उल्लिखित आचार्यों में सोमसेन से कुछ ऐतिहासिक स्वरूप दिखाई देता है । इसके पहले भी २६ भट्टारकों का वर्णन आया है। भट्टारक छत्रसेन का प्रभाव कारंजा से मिलती हैं । दूसरी पट्टावली में समागत अन्तिम दिल्ली तक था। इनकी कई कृतियाँ भी बलात्कारगण को पट्टावलियाँ : बलात्कारगण और उसकी विभिन्न शाखाओं का परिचय भट्टारक सम्प्रदाय में व्यवस्थित रूप से दिया गया है। इसकी ईडर शाखा की दो पट्टावलियाँ १. जैन एण्टीक्वेरी, भाग १३, अंक २, पृ० १-७, २. जैन सिद्धान्त भास्कर, वर्ष १, पृ० ३८; इससे कुछ भिन्न और अधिक अच्छी प्रति श्री मा० स० महाजन, नागपुर के संग्रह में है । विशेष विवेचन के लिए देखें – डा० वि० जोहरापुरकर सम्पादित भट्टारक सम्प्रदाय, पृ० २६-३८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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