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________________ १२८ जैन साहिस्य का बृहद् इतिहास सुशात है। महाकवि भास आदि ने इस पर कई नाटक लिखे हैं। सातवाहन' और विक्रमादित्य भारतीय साहित्य और जनश्रुति में बहुत प्रसिद्ध हैं। विक्रमादित्यप्रबन्ध की सामग्री को 'गुणवचनद्वात्रिंशिका' में वर्णित बातों से मिलाकर सिद्ध किया गया है कि वह गुप्तवंशी चन्द्रगुप्त (द्वितीय) विक्रमादित्य था। वंकचूल (पुष्पचूल-पुष्पचूला) जैन कथा-कहानियों का राजा ज्ञात होता है। उसकी ऐतिहासिकता ज्ञात नहीं होती। नागार्जुन की कथा ऐतिहासिक राजा के रूप में सन्दिग्ध है, वह योगी या सिद्ध पुरुष ज्ञात होता है। इस तरह ७ तथाकथित राजाओं में ५ के ही जीवन इतिहासोपयोगी हैं। ३ राजमान्य पुरुषों में से आभड और वस्तुपाल सुज्ञात हैं । संघपति रत्नश्रावक अज्ञात जैसा लगता है। प्रबन्धकोश में अपने पूर्ववर्ती प्रबन्धों से बहुत सामग्री ली गई है, यह तथ्य -मुनि जिनविजयजी ने उक्त अन्य के प्रास्ताविक वक्तव्य में दिया है। ग्रन्थकार की मौलिक रचना के रूप में हर्ष, हरिहर, अमरचन्द्र और मदनकीर्ति प्रबन्ध हैं। इनका वर्णन अन्य प्रबन्ध ग्रन्थों में नहीं मिलता। प्रबन्धकोश की रचना सरल और सुबोध गद्य में की गई है। इस प्रकार की गद्य-रचना बहुत कम मिलती है। उसके वाक्य बिल्कुल अलग-अलग और छोटेछोटे हैं और बोल-चाल की भाषा जैसे लगते हैं । अप्रचलित और देश्य शब्दों का प्रयोग भी इसमें निःसंकोच हुआ है। रचयिता एवं रचनाकाल-इस ग्रन्थ के अन्त में दी गई प्रशस्ति से ज्ञात होता है कि प्रश्नवाहन कुल, कोटिक गण, हर्षपुरीय गच्छ की मध्यम शाखा में हुए मलधारी अभयदेवसूरि सन्तानीय एवं तिलकसूरि के शिष्य राजशेखर ने इस ग्रन्थ की रचना सं० १४०५ में दिल्ली में महणसिंह की वसति में रहकर की। १. प्रबन्धचिन्तामणि के सातवाहनप्रबन्ध और विविधतीर्थकल्प के प्रतिष्ठानपुर कल्प में इसका चरित वर्णित है। २. मध्य भारती पत्रिका, अंक १, जुलाई १९६२ में डा. हीरालाल जैन का लेख : A Contemporary Ode to Chandra Gupta Vikrama ditya. ३. वंकचूलचरित का परिचय पहले दिया गया है। इसके पूर्व विविधतीर्थकल्प में ढीपुरीकल्प के अन्तर्गत वंकचूल का चरित वर्णित है। १. पृ. २-३. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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