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________________ ऐतिहासिक साहित्य वह इनका बड़ा सम्मान करता था। वह इनकी कितनी ही चमत्कारिक बातों से प्रभावित था। बादशाह ने उन्हें कई फरमान दिये जिससे उन्होंने हस्तिनापुर, मथुरा आदि तीर्थों की ससंघ यात्राएँ और अनेक धर्मोत्सव किये और राजसभा में उन्होंने वाद-विवाद भी किये। उनके शिष्य जिनदेवसूरि बहुत समय तक सुलतान के साथ रहे और सम्मानित हुए। इनके कहने से सुलतान ने कन्नान नगर की महावीर-प्रतिमा को दिल्ली में स्थापित करवाया। यह प्रतिमा कुछ दिन तुगलकाबाद के शाही खजाने में भी रही। एक प्रोषधशाला भी उस समय सुलतान की आज्ञा और सहायता से दिल्ली में बनी। सुलतान की माता मखदूमेजहाँ बेगम भी इन जैन गुरुओं का आदर करती थी। इस तरह अपने इस ग्रन्थ में यहाँ-वहाँ जिनप्रभसूरि ने कितनी ही ऐतिहासिक घटनाओं की उपयोगी सूचना दी है। वि० सं० ८४५ में म्लेच्छ राजा ( अरब शासक ) द्वारा वलभी के नाश का उल्लेख इसी में दिया गया है। सं० १०८१' में महमूद गजनवी के गुजरात के ऊपर आक्रमण का उल्लेख समग्र साहित्य में एकमात्र इसी में मिलता है। इसी तरह अन्य अनेक विश्वसनीय ऐतिहासिक बातें इसमें मिलती हैं। प्रबन्धकोश: यह २४ प्रबन्धों का संग्रह-ग्रन्थ है इसलिए इसका दूसरा नाम चतुर्विंशतिप्रबन्ध भी है। इसमें १० जैन आचार्यों, ४ कवियों और ७ राजाओं तथा ३ राजमान्य पुरुषों के चरित हैं। १० आचार्यों में भद्रबाहु से लेकर हेमचन्द्र तक एवं ४ कवि पण्डितों में, हर्ष, हरिहर, अमरचन्द्र और मदनकीर्ति सभी ऐतिहासिक पुरुष हैं। ७ राजाओं में सातवाहन, वंकचूल, विक्रमादित्य, नागार्जुन, वत्सराज उदयन, लक्ष्मणसेन और मदनवर्मा का चरित प्रथित है। इनमें से अन्तिम दो-लक्ष्मणसेन और मदनवर्मा का समय मध्यकाल का उत्तर भाग है और इतिहास ग्रन्थों में उनके विषय में बहुत लिखा मिलता है। वत्सराज उदयन जैन, बौद्ध और ब्राह्मण स्रोतों से १. कन्यानयनीयमहावीरप्रतिमाकल्प. २. सत्यपुरतीर्थकल्प.. ३. जिनरस्नकोश, पृ. २६४, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, क्रमांक ६. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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