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________________ ४२६ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास पुर) में सं० १३६१ में की गई है। इनकी अन्य कृतियाँ विचारश्रेणी या स्थविरावली तथा महापुरुषचरित है। विविधतीर्थकल्प : इसका परिचय पहले दिया गया है। इसमें अनेक तीर्थों के प्रसंग में अनेक ऐतिहासिक बातें आ गई हैं जो पश्चात्वर्ती अनेकों प्रवन्धों की उपादानभूत हैं। प्रबन्धकोश में प्रभावकचरित और प्रबन्धचिन्तामणि से भी अधिक सामग्री विविधतीर्थकल्प से ली गई है, यहाँ तक कि कुछ पूरे प्रकरण या प्रबन्ध ज्यों के त्यों शब्दशः उद्धत कर लिये गये हैं। सातवाहनप्रबन्ध, वंकचूलप्रबन्ध और नागार्जुनप्रबन्ध ये तीनों प्रकरण तीर्थकल्प की पूरी नकल हैं। सातवाहन नृप पर २३वाँ प्रतिष्ठानपत्तनकल्प, ३३वाँ प्रतिष्टानपुरकल्प, ३४वाँ प्रतिष्ठानपुराधिपतिसातवाहनचरित ये तीन कल्प हैं। वंकचूल का वर्णन ढीपुरीतीर्थकल्प ( ४३वे) में तथा नागार्जुन का वृत्तान्त स्तंभनककल्प-शिलोच्छ ( ५९वे) में है। यह पिछला प्रबन्ध तीर्थकल्प में प्राकृत भाषा में रचा गया है जिसे प्रबन्धकोशकार ने शब्दशः संस्कृत में अनूदित कर लिया है। विविधतीर्थकल्प के रचयिता ने सम्भवतः प्रबन्धचिन्तामणि से उक्त प्रकरण को संस्कृत से प्राकृत में अनुवाद करके लिख लिया हो ऐसा प्रतीत होता है क्योंकि दोनों की शब्द-रचना प्रायः एक-सी है। ग्रन्थकार जिनप्रभसूरि अपने समय के बहुश्रुत विद्वान् एवं प्रभावशाली पुरुष थे। भारत की संस्कृति के महान् संकटकाल में वे विद्यमान थे। उनके समय में भारतवर्ष के हिन्दू राज्यों का सामूहिक पतन हुआ था और इस्लामी सत्ता का स्थायी शासन जम गया था। गुजरात की प्राचीन सांस्कृतिक विभूति का आखिरी पर्दा उनकी नजरों से गुजर रहा था। विविधतीर्थकल्प के उल्लेखानुसार मन्त्री माधव की प्रेरणा से ही अलाउद्दीन खिलजी ने अपने भाई उलुगखाँ को गुवरात विनय करने के लिए भेजा था। खिलजी वंश का शीघ्र विनाश होने के बाद गुजरात का शासन सुलतान मुहम्मद तुगलक ने सम्हाला । जिनप्रभसूरि का इस सुलतान से प्रत्यक्ष परिचय था और - १. पृष्ठ ७७ में परिचय दिया गया है। २. परिचय के लिए देखें: जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग ४, पृ० ३२१-३२४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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