SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 436
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ऐतिहासिक साहित्य ४२३ विभक्त है । सभी प्रकाशों में कुल मिलाकर ११ प्रबन्ध हैं जिनमें ६ तो प्रथम प्रकाश में और २ चतुर्थ प्रकाश में तथा शेष में एक-एक प्रबन्ध है । ये प्रबन्ध भी सामान्यतः लघुप्रबन्धों के संग्रहरूप में हैं । - प्रथम प्रकाश के प्रथम तीन प्रबन्धों में विक्रमादित्य, सातवाहन और भूयराज ( प्रतिहार भोज ? ) की प्रसंगकथाएँ दी गई हैं । चतुर्थ प्रबन्ध वनराजादि - प्रबन्ध कहलाता है जिसमें चापोत्कट ( चावड़ा ) वंश का संक्षिप्त इतिहास प्रस्तुत किया गया है । मूलराजादिप्रबन्ध नामक पाँचवें में चौलुक्यों का इतिहास प्रारम्भ होता है और दुर्लभराज के राज्य तक जाता है । यथार्थतः इसमें मूलराज के तत्काल तीन उत्तराधिकारियों के नाम और तिथियों के अतिरिक्त उनके विषय में अल्प ही कहा गया है। छठे मुंनरानप्रबन्ध में परमारनृप वाक्पति मुंज विषयक प्रसंगकथाएँ दी गई हैं । द्वितीय प्रकाश भोज-भीमप्रबन्ध कहलाता है । यह भीम और भोज के आपसी सम्बन्धों का प्रबन्ध है जिसमें सेनाध्यक्ष कुलचन्द्र दिगम्बर, माघ पण्डित, धनपाल, शीता पण्डित, मयूर - बाण मानतुंग प्रबन्ध तथा अन्य प्रबन्ध भी हैं । तीसरा प्रकाश सिद्धराजादिप्रबन्ध कहलाता है । इसमें भीम के अन्तिम दिनों तथा कर्ण के राज्य का कुछ पृष्ठों में वर्णन कर अधिकांश में सिद्धराज के राज्य की घटनाओं का वर्णन है। इसमें सम्मिलित कुछ लघुप्रबंधों के नाम इस प्रकार हैं : लीलावैद्य, सान्तूमंत्री, मयणल्लदेवी, मालवविजय, सिद्धहेम, रुद्रमाल, सहस्रलिंगताल, नवघणयुद्ध, रैवतकोद्धार, शत्रुञ्जययात्रा, देवसूरि तथा पापघट आदि । चतुर्थ प्रकाश में दो विशाल प्रबन्ध हैं । पहले में कुमारपाल के राज्य का वर्णन है । इसमें उसके जन्म, माता-पिता, पूर्वजीवन, राज्यप्राप्ति और जैनधर्म-स्वीकरण आदि का विस्तार से वर्णन है । इसी में हेमचन्द्र और कुमारपाल कई कथाएँ भी हैं । अन्त में अजयदेव ( अजयपाल ) के कुकृत्यों का तथा मूलराज द्वितीय एवं भीम द्वि० के राज्यों का थोड़ा वर्णन कर वीरधवल की राज्यपदप्राप्ति वर्णित है । इसी प्रकाश के दूसरे प्रबन्ध वस्तुपाल - तेजःपालप्रबन्ध में दोनों भ्राताओं के कार्यकलापों का वर्णन है । इसमें उन दोनों भाइयों के जन्मादिवृत्त, शत्रुञ्जयादि - तीर्थयात्रा, शंखसुभट के साथ युद्ध आदि का वर्णन है । पञ्चम प्रकाश प्रकीर्णकप्रबन्ध कहलाता है जिसमें ऐतिहासिक व्यक्तियों की प्रसंगकथाएँ दी गई हैं। उनमें नन्दरान, शिलादित्य, वलभीभंग, पुंजराज, गोवर्धन, लक्ष्मणसेन, जयचन्द्र, जगदेव परमर्द्दि, पृथ्वीचन्द्र- प्रबन्ध, वराहमिहिर, भर्तृहरि, वैद्य वाग्भट, क्षेत्राधिप ( क्षेत्रपाल ) आदि के संक्षिप्त वर्णन हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy