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________________ ४२२ जैन साहित्य का वृहद् इतिहास २. धर्म धर्मपाल नाम से गौड देश का पालनरेश था। धर्मपाल के दरबार में वर्धमानकुंजर नाम का एक बौद्ध पण्डित था । धर्मपाल एक बौद्ध नरेश था यह तो इतिहासप्रसिद्ध है। वर्धमानकुंजर नामक बौद्ध पण्डित का नाम तो ज्ञात नहीं पर कुंजरवर्धन नामक बौद्ध यश्च का उल्लेख मिलता है। ३. कन्नौजनरेश यशोवर्मा को आम का पिता लिखा है जो इतिहासविरुद्ध लगता है । आम (नागभट्ट ) के पिता का नाम वत्सराज था। यशोवर्मा वह हो सकता है जिसने किसी गौडराजा को मारा था तथा जो कश्मीर के मुक्तापीड ललितादित्य द्वारा वि० सं० ७९७ में मारा गया था। वह गौडवहो के रचयिता वाक्पतिरान का समकालीन या पूर्ववर्ती था पर बप्पभट्टि का समकालीन नहीं था क्योंकि बप्पभट्टि उसकी मृत्यु के तीन वर्ष बाद उत्पन्न हुए थे। ग्रन्थकार : को किसी पूर्ववर्ती से यह गलत सूचना मिली और यशोवर्मा तथा मुक्तापीड को भ्रान्त रूप में चित्रित किया। ४. वाक्पतिराज-गौडवहो के लेखक-भी बप्पभट्टि के समकालीन किसी तरह हो सकते हैं यदि यह माना जाय कि यशोवर्मा के यश का वर्णन उसके मरने के बाद उक्त कवि ने अपने काव्य का विषय बनाया था। ५. गुजरात के नरेश जितशत्रु और राजगृह के नृप समुद्रसेन के विषय में इतिहास कुछ नहीं जानता है । हो सकता है कि वे कोई जागीरदार रहे हों। ६. ढुण्डुक नागावलोक का पुत्र था और भोज का पिता । हो सकता है यह रामभद्र का ही भद्दा नाम हो । ७. ढुण्डुक का पुत्र और नागावलोक का पौत्र भोज था जिसे मिहिरभोज माना जा सकता है। इसी तरह अन्य चरितों का विश्लेषण प्रस्तुत करने से बहुमूल्य ऐतिहासिक सामग्री प्राप्त की जा सकती है । समग्र का विवेचन यहाँ सम्भव नहीं । प्रबंधचिन्तामणि: यह प्रबन्ध साहित्य का तीसरा ग्रन्थ है। सम्पूर्ण ग्रन्थ पाँच प्रकाशों में १. जिनरस्नकोश, पृ० २६५; सिंघी जैन ग्रन्थमाला, १; उसी ग्रन्थमाला से हजारीप्रसाद द्विवेदीकृत हिन्दी अनुवाद; . रामचन्द्र दीनानाथ शास्त्रीकृत गुजराती अनुवाद बम्बई से सं० १९४५ में प्रकाशित; सी० भार० टावने कृत अंग्रेजी अनुवाद बिब्लिओथेका इण्डिका सिरीज, कलकत्ता से १८९९. १९०१ में प्रकाशित. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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