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________________ ४१० जैन साहित्य का बृहद् इतिहास कुमारपालभूपालचरित: इस काव्य' से निम्नलिखित ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी मिलती है : इसमें मूलराज से लेकर अजयपाल तक गुजरात के नरेशों का क्रमिक विवरण दिया गया है । इसके लिए इस काव्य का प्रथम सर्ग बड़े महत्व का है। इसमें मूलराज की उत्पत्ति का एक ऐसा वर्णन मिलता है जो दूसरी जगह नहीं मिलता। यह वर्णन बहुत हद तक एक शिलालेख से भी समर्थित है। जयसिंह सिद्धराज को इस काव्य में शैवधर्मानुयायी तथा सन्तानरहित नरेश कहा गया है। उसने कुमारपाल को उत्तराधिकार न मिलने के लिए तंग किया था । कुमारपाल के विषय में लिखा है कि प्रारंभ में वह शैवधर्मानुयायो था, पीछे हेमचन्द्राचार्य के प्रभाव से वह जैन हो गया था। उदयन उसका महामात्य था और वाग्भट उसका अमात्य । कुमारपाल ने अपने साले कृष्णदेव को अन्धा कर दिया था। उसने जाबालपुर, कुरु तथा मालव के राजाओं को अपने प्रभाव में कर लिया था तथा आभीर, सौराष्ट्र, कच्छ, पंचनद और मूलस्थान के नरेशों को पराजित किया था। कुमारपाल ने अजमेर के शासक अर्णोराज से काफी समय तक युद्ध किया था एवं उसे पराजित किया था। उसने मेड़ता और पल्लीकोट के नरेशों को जीता था तथा कोकणनरेश मल्लिकार्जुन को हराया था एवं इस विजय के उपलक्ष्य में आम्रभट को 'राजपितामह' विरुद दिया था । कुमारपाल ने सोमनाथ का जीर्णोद्धार किया था। सोमनाथ की यात्रा में हेमचन्द्रसूरि उसके साथ थे। कुमारपाल ने सौराष्ट्र के राजा समरस से युद्ध किया था और उस युद्ध में उदयन की मृत्यु हुई थी। वाग्भट ने शत्रुजयतीर्थ का दो बार उद्धार किया था। हेमचन्द्रसूरि ने भृगुकच्छ में आम्रभट द्वारा निर्मित मुनिसुव्रतनाथ चैत्य में सं० १२११ में जिनबिम्ब की प्रतिष्ठा की थी ।कुमारपाल संघपति बनकर तीर्थयात्रा करने निकला था। सं० १२२९ में हेमचन्द्र की मृत्यु हुई थी तथा इसके एक वर्ष बाद सं० १२३०. में कुमारपाल की मृत्यु हुई थी। कुमारपाल के बाद अजयपाल राजगद्दी पर बैठा था। इस काव्य के अन्य गुणों तथा कविपरिचय पर हम लिख चुके हैं। १. जिनरत्नकोश, पृ० ९२, हीरालाल हंसराज, जामनगर, १९१५, गोडीजी जैन उपाश्रय, बम्बई, १९२६. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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