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________________ ऐतिहासिक साहित्य कथाओं से भरा हुआ है। इसका विवेचन हम कथा - साहित्य प्रकरण' में कर आये हैं । वस्तुपाल - तेजपाल मन्त्रिद्वय को निमित्त बनाकर नाटक, प्रशस्तियाँ एवं शिलालेख आदि भी रचे गये हैं जिनमें तत्कालीन गुजरात के इतिहास को जानने के लिए बहुत-सी सामग्री उपलब्ध है । समकालिक साहित्य में जयसिंहसूर का लिखा हुआ हम्मीरमदमर्दन नाटक वस्तुपाल के राजनैतिक और फौजी जीवन के निरूपण में उपयोगी है क्योंकि उसमें मुस्लिम आक्रमण को विफल करनेवाली युद्धनीति का वर्णन नाटकीय शैली में किया गया है । इस नाटक का विशेष परिचय हम पीछे दे रहे हैं । जिनभद्र ( १२३४ ई० ) की प्रबंधावली में वस्तुपाल के जीवन की कुछ ऐसी घटनाओं की ओर इशारा किया गया है जो मुख्य कालक्रम की समस्याओं को सुलझाने में परम सहायक हुई हैं । इसी तरह नरेन्द्रप्रभसूरि की वस्तुपालप्रशस्ति, उदयप्रभसूरि की सुकृतकीर्ति कल्लोलिनी एवं वस्तुपालस्तुति तथा जयसिंहसूरिकृत वस्तुपाल - तेजपालप्रशस्ति भी ऐतिहासिक महत्त्व की हैं। इनका परिचय प्रशस्तिकाव्यों में दे रहे हैं । ४०१ पश्चात्कालिक साहित्यिक सामग्री में मेरुतुंग का प्रबंधचिन्तामणि ( १३०५ ई ० ), राजशेखर का प्रबंधकोश ( १३४९ ई० ) और पुरातनप्रबंध संग्रह ( जिसमें १३वीं, १४वीं, १५वीं शती के अनेक प्रबंध संकलित हैं ), जिनप्रभसूरि का विविधतीर्थकल्प तथा जिनहर्षगणि का वस्तुपालचरित हैं । इनका परिचय यथास्थान दे रहे हैं । इसी तरह वस्तुपाल - तेजपाल के जीवन पर अनेक शिलालेखीय एवं ग्रन्थप्रशस्तियाँ भी प्राप्त हैं । उनका भी यथासंभव परिचय देने का प्रयत्न करेंगे । चौदहवीं -पन्द्रहवीं शती के अनेक जैन विद्वानों ने ऐतिहासिक महाकाव्यों को प्रस्तुत किया है। चौलुक्य नृप कुमारपाल पर रचे गये कुछ काव्यों का उल्लेख हमने पौराणिक महाकाव्यों के परिचय में किया है । वहाँ उनका ऐतिहासिक महत्त्व नहीं बतलाया । यहाँ हम उनमें से कुछ का परिचय देते हैं । १. देखें पृ० २५८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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