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________________ ३८२ जैन साहित्य का वृहद् इतिहास सम्बद्ध किया गया है और बतलाया गया है कि विक्रम की मृत्यु के बाद उसका सिंहासन एक खेत में छिपा दिया गया था। उस खेत का मालिक एक ब्राह्मण था जो छिपे सिंहासन के चबूतरे पर बैठकर अपने खेत की देख-भाल करता था। वह खेत बड़ा ही उपजाऊ था। राजा भोज को यह पता चला तो उसने उस खेत को खरीद लिया और उस चबूतरे को तुड़वाकर राजा विक्रम के चमत्कारी सिंहासन को पाया। भोज को उस सिंहासन पर बैठने के पहले उसकी रक्षा करनेवाली बत्तीस देवियों की प्रश्नात्मक कथाओं द्वारा अपनी परीक्षा देनी पड़ी तब कहीं वह उस पर बैठ सका। इस कथा द्वारा विक्रमादित्य के माहात्म्य के समान भोज का माहात्म्य प्रकट किया गया है। भोज के चरित्र को दूसरे प्रकार के जनाख्यानों से प्रथितकर कुछ स्वतन्त्र ग्रन्थ भी रचे गये हैं। उनमें जैनेतर रचनाओं में बल्लालकृत 'भोजप्रबन्ध' प्रसिद्ध है। ___ भोजचरित-राजवल्लभरचित एतद्विषयक जैन कृतियों में यह सबसे प्राचीन है। यह पाँच प्रस्तावों में विभक्त है जिनमें कुछ मिलाकर १५७५ पद्य हैं। उनमें ३५ अपभ्रंश में और शेष संस्कृत में हैं। संस्कृत पद्यों में भी प्राकृत शब्द यत्र-तत्र पाये जाते हैं। पद्य अधिकांश में अनुष्टुप छन्द में हैं पर यत्र-तत्र इन्द्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, शालिनी, वसन्ततिलका, शार्दूलविक्रीडित आदि पद्य दूसरी कृतियों से उद्धरणरूप में पाये जाते हैं। इसमें वर्णित लोककथाओं का आधार प्रबन्धचिन्तामणि और कथासरित्सागर है। साहित्यिक दृष्टि से यह साधारण कोटि की रचना है। इसमें भनेक भाषाविषयक तथा भौगोलिक त्रुटियों भरी हुई हैं। फिर भी भोज के सम्बन्ध में तीन शीर्षों ( कपालों ) तथा दो राक्षसों द्वारा चमत्कारिकता दिखाई गई है। उसके परकायप्रवेश की कथा चौथे प्रस्ताव में दी गई है। पाँचवें प्रस्ताव में भोज के पुत्रों देवराज और 'वत्सराज के साहसिक कार्यों का वर्णन दिया गया है। १. एडगरटन, विक्रम्स एडवेंचर्स, हारवर्ड मो० सिरीज, २६, सन् १९२६. २. जिनरत्नकोश, पृ० २९२; भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी से डा० बहादुरचन्द्र छाबड़ा और शंकरनारायणन् द्वारा सम्पादित, मंग्रेजी में विवरणात्मक टिप्पण, प्रस्तावना, सं० २०२०. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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