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________________ कथा-साहित्य हैं। इसकी प्राचीनतम प्रति का लेखनसं० १५३९ दिया गया है । इस सम्बन्ध में उन्होंने प्रियंकर नृप की कथा का उल्लेख किया है। ऋषिमण्डलस्तोत्रगतकथा-इसका उल्लेख मात्र मिलता है। नमस्कारकथा-पंच णमोकार मंत्र पर संस्कृत श्लोकों में नमस्कारकथा, नमस्कारफलदृष्टान्त' आदि रचनाओं का उल्लेख मिलता है । तिथिव्रत, पर्व एवं पूजाविषयक अन्य कथाएँ: ग्रन्थनाम लेखक का नाम अक्षयतृतीयाकथा' कनककुशल ( १७वीं का उत्तरार्ध), क्षमाकल्याण ( १९वीं शती) एवं अज्ञातकतृक अक्षयविधानकथा श्रुतसागर ( १६वीं का पूर्वार्ध) अनन्तव्रतकथा अनन्तचतुर्दशीपूजाकथा अज्ञात अनन्तव्रतविधानकथा अज्ञात अष्टप्रकारपूजाकथा (पूजाष्टक ) चन्द्रप्रभ महत्तर (सं० १४८१) -१० (पूजाष्टक) __११ (पूजाष्टक) अज्ञात (प्राकृत, १००० ग्रन्थान) अष्टाह्निकाकथा१२ अनन्तहंस (१६वीं का उत्तरार्ध), सुरेन्द्रकीर्ति, हरिषेण, क्षमाकल्याण ( १९वीं शती) आकाशपञ्चमीकथा१३ श्रुतसागर (१६वीं का पूर्वार्ध), अज्ञात 1. जिनरत्नकोश, पृ० ५४-५५. २. वही, पृ० ६१. ३. वही, पृ० २०१.२०२. ४. वही, पृ० १, क्षमाकल्याणकृत-हीरालाल हंसराज, जामनगर, १९१७ में प्रकाशित. ५. भट्टारक सम्प्रदाय, पृ० ४६२. ६-८. जिनरस्नकोश, पृ० ७. १-११. वही, पृ० १८. १२.१३. वही, पृ० १०. अज्ञात Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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