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________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास अश्लीलतापूर्ण ढङ्ग से मनाये जानेवाले होली पर्व की उत्पत्ति जैनमान्यता के अनुसार किस प्रकार और कैसे हुई है, दी गई है। उक्त आचार्य की कथात्मक रचनाओं में दीपमालिकाकथा ( संस्कृत गद्य ) और पंचाख्यानकथासार भी मिलते हैं। इनकी अन्य ६० के लगभग रचनाएँ भी मिलती हैं।। होली के पर्व पर अन्य रचनाओं में रजःपर्वकथा (होलिरजःपर्वकथा) तथा जिनसुन्दर, शुभकरण, क्षमाकल्याण, मालदेव, माणिक्यविजय, पुण्यसागर एवं फत्तेन्द्रसागर आदि कृत हुताशिनीकथा एवं होलिकापर्वकथाएँ मिलती हैं। स्तोत्रकथाएँ-व्रतो, तीर्थों, पर्यों एवं पूजा के माहात्म्य-वर्णन की भाँति ही अनेक प्रमुख स्तोत्रों के माहात्म्य को प्रकट करने के लिए स्तोत्रकथाएँ भी लिखी गई हैं। ____भक्तामरकथा-इस नाम की कृतियाँ कई लेखकों की मिली हैं। उनमें सर्वप्रथम रुद्रपल्लीयगच्छ के गुणाकर अपरनाम गुणसुन्दरसूरिकृत कथा' है जिसका रचनासमय सं० १४२६ है। इसमें ४४ पद्यों में से कुछ पद्यों के माहात्म्य पर २६ कथाएँ दी गई हैं। दूसरी कथाकृति ब्रह्म रायमल्लकृत है जिसे उन्होंने सं० १६६७ में लिखा था। एक अन्य भक्तामरस्तोत्रचरित्र विश्वभूषणकृत उपलब्ध है। विश्वभूषण अनन्तभूषण के शिष्य थे। एक अज्ञातकर्तृक भक्तामरस्तोत्रमंत्रकथा का उल्लेख भी मिलता है ।। उवसग्गहरप्रभावकथा-इसमें प्रसिद्ध स्तोत्र उवसग्गहर के माहात्म्य का वर्णन करने के लिए तपागच्छीय सुधाभूषण के शिष्य जिनहर्षरि ने कथाएँ लिखी १. जिनरस्नकोश, पृ० ३२६. २. वही, पृ० १६२. ३. वही, पृ. १६५. ४. वही, पृ० २९०, देवचन्द्र लालभाई जैन पुस्तकोद्धार, प्रन्यांक ७०, बम्बई, सं० १९८८. ५. वही, पृ० २८८-२८९. ६. वही, पृ. २८९. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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