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________________ कथा-साहित्य बाहुबलि का युद्ध, यात्राएँ और भरत द्वारा धर्मक्षेत्रों की स्थापना, विशेषकर शत्रुजय पर्वत पर बनाए मन्दिरों का वर्णन है । ९वें सर्ग में राम की कथा तथा १०-१२ तक कृष्ण और अरिष्टनेमि की कथा से सम्बद्ध पाण्डवों की कथा दी गई है। १०वें अध्याय में भीमसेन के सम्बन्ध में जो कथा कही गई है वह महाभारत के भीम से एकदम भिन्न है। यहाँ वह तस्कर एवं व्यर्थ पर बड़ा साहसी दिखाया गया है : एक समय वह एक व्यापारी जहाज द्वारा समुद्र पार कर रहा था पर जहाज मध्य समुद्र में एक मूंगों की चट्टान के चारों ओर भटक गया। एक तोते ने बचाव का रास्ता दिखाया । उनमें से एक को मरने के लिए तैयार होना था, पर्वत की ओर तैर कर जाना था और वहाँ भारण्ड पक्षियों को विस्मित करना था । भीम ने यह काम अपने जिम्मे लिया, जहाज की रक्षा की पर पर्वत पर वह अकेला रह गया। सहायक तोते ने उसे भागने का रास्ता बताया। उसने स्वयं को समुद्र में डाल दिया, एक मछली ने उसे निगल लिया जिसे मारकर वह किनारे निकल आया। यह लंकाद्वीप था। अनेक साहसिक कार्यों के बाद उसने एक राज्य पाया पर कुछ समय बाद उसका परित्याग कर दिया ताकि शत्रुजय के एक शिखर रैवत पर मुनि बन रह सके । चौदहवें सर्ग में पार्श्वनाथ की कथा है और अन्त में महावीर की एक लम्बी भविष्यवाणी है जिसमें कई प्रकार के ऐतिहासिक अवतरण हैं जिनका अर्थ अबतक स्पष्ट नहीं हो पाया है। रचयिता एवं रचनाकाल-इसके रचयिता एक धनेश्वरसूरि हैं जिनके संबंध में कहा जाता है कि उन्होंने इसे सौराष्ट्रनरेश शीलादित्य (वलभी सं० ४७७ = ७-८ वीं शती) के अनुरोध पर प्रस्तुत रचना लिखी थी। पर शत्रुजयमाहात्म्य में सं० ११९९ से १२३० के बीच राज्य करनेवाले कुमारपाल का वृत्तान्त भी आया है। इससे यह उतनी प्राचीन रचना नहीं है। वास्तव में वलभी में शीलादित्य नाम के ६ राजा हो गये हैं पर जैन लेखक एक ही शीलादित्य का उल्लेख करते हैं। धनेश्वरसूरि भी कई हो गये हैं। सम्भवतः ये धनेश्वरसूरि १३वी या उसके बाद की शताब्दी में हुए लेखक हैं।' 1. मोहनलाल दलीचन्द देसाई, जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, पृ० १४५. १४६ पर टिप्पण १३८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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