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________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास ३५२ के धर्मदेवमणि के शिष्य धर्मचन्द्र ने मलय सुन्दरीकथोद्धार की रचना की है । एक अज्ञातकतृक संस्कृत मलयसुन्दरीचरित्र भी उपलब्ध है । मदनरेखाचरित - इसमें मिथिला के नृप नमि ( प्रत्येकबुद्ध ) की माता मदनरेखा का चरित्र दिया गया है। मदनरेखा सुदर्शनपुर के नृप मणिरथ के अनुज युगबाहु की पत्नी है । मणिरथ उस पर आसक्त हो जाता है और उसे पाने के लिए अपने अनुज को मार डालता है पर मणिरथ भी सर्पदंश से मारा जाता हैं । मदनरेखा अपने शील की रक्षा के लिए तथा गर्भस्थ बालक की रक्षा के लिए 1 भाग निकलती है । रम्भागृह में नमि का जन्म होता है परन्तु सरोवर में वस्त्र - प्रचालन के लिए जाते समय बालक का अपहरण हो जाता है । उस दुःख की हालत में एक विद्याधर उसके शील का अपहरण करने का प्रयास करता है पर चतुराई से वह बच निकलती है और सुव्रता नामक साध्वी हो जाती है । बालक मिथिलानरेश पद्मरथ द्वारा पाला-पोसा जाता है और शिक्षा पाकर राज्यपद पाता है । मदनरेखा के ज्येष्ठ पुत्र एवं सुदर्शनपुर के मिथिला नरेश नमि के बीच एक बार होनेवाले युद्ध का होने की याद दिलाकर निवारण किया था । अधीश चन्द्रयश और सुव्रता ने उनके सहोदर यह चरित्र प्रत्येकबुद्धकथाओं में नमिचरित्र के साथ भी वर्णित है पर पीछे इसकी रोचकता के कारण इस पर अनेक स्वतंत्र रचनाएँ लिखी गई हैं। संस्कृत गद्य में एक अज्ञातकर्तृक रचना का उल्लेख मिलता है।' इस पर जिनभद्रसूरि ( १२वीं शताब्दा ) ने मदनरेखाआख्यायिकाचम्पू नामक उच्चकोटि का काव्य लिखा है । उसका वर्णन हम चम्पू-काव्यों में दे रहे हैं। शुभशीलगणि के भरतेश्वर बाहुबलि वृत्ति में यह चरित्र विस्तार से दिया गया है । गुजराती में सं० १५३७ में मतिशेखर ( उकेशगच्छीय ) ने इस चरित्र की रचना की है। मदिरावतीकथानक — वर्धमानदेशना ( शुभवर्धन गणि ) में शील के माहात्म्य पर मदिरावती की रोचक कथा दी गई है । उसी पर अज्ञातकर्तृक एक रचना मिलती है ।" १. जिनरत्नकोश, पृ० ३००. २. लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर, अहमदाबाद से प्रकाशित. ३. जिनरत्नकोश, पृ० ३००; जैन गुर्जर कविमो, भाग ३, पृ० ४६९. ४. जिनरत्नकोश, पृ० ३००. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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