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________________ कथा-साहित्य करने के लिए मत्स्योदरनृप की कथा आई है । इसी कथा पर उक्त अज्ञातकर्तृक रचना मिलती है ।' गुजराती में इस कथा पर अनेक रास लिखे गये हैं । वीरभद्रकथा - अकाल में श्रुतपाठ के दोष को बतलाने के लिए वीरभद्र मुनि की कथा हरिषेण के बृहत्कथाकोश में दी गई है । वीरभद्र की कथा को लेकर देवभद्राचार्य द्वारा रचित वीरभद्रचरित्र एवं अज्ञातकतृ के वीरभद्रकथा तथा वीरभद्रचरित्र मिलते हैं । कुरुचन्द्रकथानक —— कुरुचन्द्र नृपति की कथा हरिभद्र के उपदेशपद की टीका तथा अन्य औपदेशिक कथा-साहित्य में आती है । उसी चरित को लेकर संस्कृत गद्य में उक्त चरित की रचना की गई है ।" इसकी प्राचीन प्रति सं० १४८९ की मिली है पर इसके कर्ता का नाम ज्ञात नहीं है। इस कथा को दानप्रदीप (सं० १४९९ ) में वसतिदान के सम्बन्ध में दिया गया है । ३२९ प्रज्ञाकरकथा - शयनदान के लिए प्रज्ञाकर राजा की कथा दानप्रदीप ( चारित्ररत्नगणि) में दी गई है । उसी पर एक स्वतंत्र रचना अज्ञातकतृ क मिलती है । सुबाहुकथा - विधिवत् पात्रदान के महत्त्व को प्रकट करने के लिए सुबाहु मुनिया नृप के चरित पर अज्ञातकतृ के तीन रचनाओं का उल्लेख मिलता है। पाटन सूत्रीपत्र के अनुसार दो प्राकृत रचनाएँ हैं ।' एक में २२८ गाथाएँ और दूसरी में २९५ गाथाएँ हैं । एक रचता अज्ञातकतृ के भी है। किसी का रचनाकाल नहीं दिया गया है । गुजराती में जिनहंससूरि के शिष्य पुण्यसागर ने सं० १६०४ में एक सुबाहुसंधि का निर्माण किया था । १. जिनरत्नकोश, पृ० ३०. २४. वही, पृ० ३६३. ५. वही, पृ० ९४. ६. वही, पृ० २५७. ७९. वही, पृ० ४४५; पाटन ग्रन्थ-भण्डारसूची, भाग १, पृ० ६१, ९१, १४३. १६१. १०. जैन गुर्जर कविभो, भाग १, पृ० १८८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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