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________________ २४ प्रास्ताविक में रस, अलंकार और ध्वनि का समन्वय निहित है। पंडितराज जगन्नाथ से बहुत पहले जैनाचार्य जिनसेन ने काव्य शब्द की व्युत्पत्ति करते हुए उसकी परिभाषा इस प्रकार बतलायी है कवेर्भावोऽथवा कर्म काव्यं तज्ज्ञैर्निरुच्यते । तत्प्रतोतार्थमग्राम्यं सालङ्कारमनाकुलम् ।। कवि के भाव अथवा कर्म को काव्य कहते हैं। कवि का काव्य सर्वसम्मत अर्थ से सहित, ग्राम्यदोष से रहित, अलंकार से युक्त और प्रसाद आदि गुणों से शोभित होता है अर्थात् शब्द और अर्थ का वह समुचित रूप जो दोषरहित तथा गुण और अलंकारसहित (रमणीय) हो, काव्य है। जिनसेन ने अर्थ और शब्द दोनों के सौन्दर्य को काव्य के लिए ग्राह्य बताते हुए उन लोगों की आलोचना की है जो किसी एक के सौन्दर्य को उपादेय मानते हैं। उनका कहना है कि अलंकार सहित, शृंगारादि रस से युक्त, सौन्दर्य से ओतप्रोत और उच्छिष्टतारहित मौलिक काव्य सरस्वती के मुख के समान शोभायमान होता है । जिसमें रीति की रमणीयता नहीं, न पदों का लालित्य और न रस का ही प्रवाह, वह अनगढ़ काव्य है, वह तो कर्णकटु ग्रामीण भाषा के समान है। ___ जिनसेन प्रतिपादित उक्त परिभाषा को देखने पर ज्ञात होता है कि आचार्य ने काव्य में बहिरंग तत्त्व-रीति, पदलालित्य (गुण और शब्दालंकार) तथा अन्तरंग तत्त्व-रस, भाव, अर्थालंकार, एवं मौलिकता का होना आवश्यक माना है। परन्तु काव्य की परिधि को बढ़ते हुए देखकर काव्य-शास्त्रियों ने उसकी परिभाषा में आवश्यक संशोधन किया। आचार्य मम्मट ने अपने काव्यप्रकाश (सन् ११०० के लगभग) में काव्य में अलंकार के अभाव में भी काव्यत्व सुरक्षित माना है। उसने दोषरहित, गुणवाली, अलंकारयुक्त तथा कभी-कभी अलंकाररहित शब्दार्थमयी रचना को काव्य कहा है। इसी तरह अपने युग की रचनाओं को ध्यान में रखकर आचार्य हेमचन्द्र ने काव्य की परिभाषा 'अदोषौ सगुणौ सालंकारौ च शब्दार्थों काव्यम्' मानते हुए भी इस १. भादिपुराण, १. ९४. २. वही, १. ९५.९६. ३. वददोषौ शब्दार्थों सगुणावनलंकृती पुनः कापि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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