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________________ कथा-साहित्य ३१५ इस कथानक को लेकर अनेकों रचनाएँ बनाई गई हैं। सर्वप्रथम रत्नशेखरसूरिकृत रचना' मिलती है। दूसरी तपागच्छ के भानुचन्द्रगणिकृत है। इसकी प्राचीन प्रति सं० १६६२ को मिली है। तीसरी तपागच्छीय मुनिसुन्दर के शिष्य सोममण्डनगणिकृत है। बीसवीं सदी में तेरापन्थी मुनि नथमल जी (टमकोर) ने संस्कृत में रत्नपालचरित्र की तथा चन्दनमुनि ने प्राकृत गद्य में संस्कृत छाया तथा हिन्दी अनुवाद के साथ 'रयणवालकहा' की रचना सं० २००२ में की है। ___ चन्द्रराजचरित-इस कौतुक एवं चमत्कारपूर्ण चरित्र में चन्द्रराज की कथा दी गई है जो अपनी सौतेली माता के कपट-प्रबंध से नाना प्रकार के कष्ट उठाता है और यहां तक कि कुक्कट बना दिया जाता है। उन कष्टों से उसकी मुक्ति शत्रुजय तीर्थ के सूर्यकुण्ड में स्नान करने से होती है । पीछे वह राज्यसुख भोग मुनिसुव्रत स्वामी के समोसरण में दीक्षा ले लेता है। यह चरित अतिमानवीय तथा नट आदि के चमत्कारों से भरा हुआ है। उक्त कथानक को लेकर संस्कृत पद्य-गद्यमय तथा हिन्दी और गुजराती में रचनाएँ मिलती हैं। सर्वप्रथम गुणरत्नसूरिविरचित चन्द्रराजचरित का उल्लेख मिलता है। उसका रचनासमय ज्ञात नहीं है। बीसवीं सदी में तपागच्छ के विजयभूपेन्द्रसूरि ने संस्कृत गद्य में सं० १९९३ में एक विशाल रचना की है जिसमें २८ अध्याय हैं। बीच-बीच में संस्कृत तथा हिन्दी के अनेक पद्य उद्धत किये गये हैं। यह कृति पण्डित काशीनाथ जैन द्वारा संकलित हिन्दी चरित्र के आधार से लिखी गई है। पाल-गोपालकथा-इस कथा में उक्त नाम के दो भ्राताओं के परिभ्रमण व नाना प्रकार के साहसों व प्रलोभनों को पारकर अन्त में धार्मिक जीवन व्यतीत करने का रोचक वृत्तान्त दिया गया है । १-२. जिनरत्नकोश, पृ० ३२७. ३. वही; जैन आत्मानन्द सभा, भावनगर, सं० १९६९, ४. भागवतप्रसाद रणछोड़दास, अहमदाबाद, १९७१; इसकी संस्कृत छाया मुनि गुलाबचन्द्र निर्मोही ने तथा हिन्दी अनुवाद मुनि दुलहराज ने किया है। ५. जिनरत्नकोश, पृ० १२१. ६. भूपेन्द्रसूरि जैन साहित्य प्रकाशक समिति, आहोर (मारवाड़), सं० १९९८, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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