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________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास अगडदत्तपुराण ( चरित)-इसकी कथा अति प्राचीन होने से पुराण नाम से कही गई है। इसमें अगडदत्त का कामाख्यान एवं चातुरी वर्णित है । इसके कर्ता अज्ञात हैं। अगडदत्त की कथा वसुदेवहिण्डी (५-६ठी शती), उत्तराध्ययन की वादिवेताल शान्तिसूरिकृत शिष्यहिता प्राकृत टीका ( ११वीं शती ) तथा नेमिचन्द्रसूरि ( पूर्वनाम देवेन्द्रगणि) कृत सुखबोधा टीका ( सं० ११३० ) में आती है। वसुदेवहिंडी के अनुसार अगडदत्त उज्जैनी का एक सारथीपुत्र था। पिता की मृत्यु हो जाने पर पिता के परम मित्र कौशाम्बी के एक आचार्य से वह शस्त्रविद्या सीखता है, वहाँ उसका सामदत्ता सुन्दरी से प्रेम हो जाता है । कुछ समय बाद वह परिव्राजक रूपधारी चोर का वध करता है। उसके भूमिगृह का पता लगा उसकी बहिन से मिलता है। वहाँ उसके बदला लेने के कपटप्रबंध से वह बच जाता है। सामदत्ता को लेकर उज्जैनी लौटते समय धनंजय नाम के चोर से उसका सामना होता है जिसका वह वध कर देता है। उज्जैनी पहुँचने पर सामदत्ता के साथ उद्यान यात्रा में सामदत्ता को सर्प डस लेता है। विद्याधर युगल के स्पर्श से वह चेतना प्राप्त करती है। देवकुल में पहुँचकर सामदत्ता अगडदत्त के वध का प्रयत्न करती है। स्त्री-निन्दा और संसार-वैराग्य के रूप में कहानी का अन्त होता है। नेमिचन्द्रसूरि ने उत्तराध्ययन-वृत्ति में इसे प्रतिबुद्धजीवी के दृष्टान्तरूप में कहा है । यह कथानक पूर्वोक्त कथानक से कई बातों में भिन्न है। कई घटनाओं और पात्रों के नामों में अन्तर है। नेमिचन्द्रसूरि का स्रोत सम्भवतः वसुदेवहिंडी के स्रोत से भिन्न रहा हो। जर्मन विद्वान् डाक्टर आल्सडोर्फ ने इस कथानक का विश्लेषण कर इसे हजारों वर्ष प्राचीन कथानकों की श्रेणी में रखा है। संभवतः अति प्राचीनता के कारण ही उक्त रचना को अगडदत्तपुराण कहा गया है। उत्तमकुमारचरित-दान के माहात्म्य को प्रकट करने के लिए उक्त लौकिक कथा का उपयोग किया गया है। उत्तमकुमार एक राजकुमार है जो कि नाना 5. जिनरत्नकोश, पृ० १; विनयभक्ति सुन्दरचरण ग्रन्थमाला (सं० ६), जामनगर, सं० १९९७; यह रचना संस्कृत के ३३४ श्लोकों में समाप्त है, इसे द्रव्यभाव-निद्रात्याग के दृष्टान्त-रूप में कहा गया है। २. वसुदेवहिंडी, पृ० ३६-४२. ३. ए न्यू वर्सन माफ अगडदत्त स्टोरी, न्यू इण्डियन ऐंटीक्वेरी, भाग १, सन् १९३८-३९. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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