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________________ २४४ जेन साहित्य का बृहद् इतिहास हैं । कुछ विद्वानों का अनुमान है कि अमितगति ने अपना यह ग्रन्थ जयरामकृत प्राकृत धर्मपरीक्षा या हरिषेणकृत अपभ्रंश धर्मपरीक्षा दोनों में से किसी एक के आधार से बनाया है। कथानक, पात्रों के नाम आदि धम्मपरिक्खा और धर्मपरीक्षा के बिल्कुल एक हैं। संभवतः इसीलिए उसके बनने में केवल दो ही महीने लगे हों। ३. धर्मपरीक्षा–यह धर्मपरीक्षा सं० १६४५ में तपागच्छीय धर्मसागर के शिष्य पद्मसागरगणि ने लिखी है। इसमें कुल मिलाकर १४७४ श्लोक हैं जिनमें १२५० के लगभग तो अमितगति की धर्मपरीक्षा से हूबहू ले लिये गये हैं। दोनों में मनोवेग-पवनवेग की प्रधान कथा है। श्वेताम्बर सम्प्रदाय मान्य कुछ बातों में परिवर्तन किया गया है पर अनेक स्थलों में दिगम्बर मान्य बातें रह गई है। ४. धर्मपरीक्षा-इसकी रचना तपागच्छीय सोमसुन्दर के शिष्य जिनमण्डनगणि ( १५वीं शताब्दी के अन्तिम दशक) ने १८०० ग्रन्थान-प्रमाण की है। जिनमण्डन की अन्य कृतियों में कुमारपालप्रबंध (सं० १४९२ ) तथा श्राद्धगुणसंग्रहविवरण (सं० १४९८) मिलते हैं। ५. धर्मपरीक्षा-इसमें मनोवेग और पवनवेग नामक दो मित्रों का संवाद अत्यन्त रमणीय है। चूंकि पवनवेग दैववश से सद्धर्म की भावना से विमुख था और अन्य धर्मावलम्बी हो गया था, इसलिए मनोवेग ने रूप बदलकर विद्वानों की सभा में पवनवेग को नाना प्रकार के दृष्टान्तों द्वारा प्रतिबोध कराया और उसे विविध प्रकार की युक्तियों से समझाकर सद्धर्म में स्थिर किया। पवनवेग ने भी अपनी भूल सुधारकर मनोवेग के वचन को स्वीकारा। इस ग्रन्थ में सद्-असद्धर्म का अच्छा विवेचन है। १. जिनरत्नकोश, पृ० १९०; देवचन्द्र लालभाई पुस्तक० (सं० १५), बम्बई, १९१३; हेमचन्द्र सभा, पाटन, सं० १९७८. २. तुलना के लिए देखें-जैन हितैषी, भाग १३, पृ० ३१४ आदि में प्रकाशित पं० जुगलकिशोर मुख्त्यार का लेख-धर्मपरीक्षा की परीक्षा; जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, पृ० ५८६, टिप्पण ५१३. ३. जिनरत्नकोश, पृ० १९०; जैन आत्मानन्द सभा (सं० ९७ ), भावनगर, सं० १९७४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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