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________________ २६० जैन साहित्य का बृहद् इतिहास सम्यक्त्वकौमुदी-इस नाम की अनेक रचनाएँ उपलब्ध हैं। कुछ का नाम सम्यक्त्वकौमुदीकथानक, सम्यक्त्वकौमुदीकथा, सम्यक्त्वकौमुदीकथाकोष, सम्यक्त्वकौमुदीचरित्र और सम्यक्त्वकौमुदी' भी कहा गया है। इन नामों के अन्तर्गत सम्यकदर्शन (जैनधर्म के प्रति सच्ची श्रद्धा) के सम्बंध की अनेक लघु कथाओं का संग्रह किया गया है। विभिन्न कहानियाँ एक प्रधान कहानी के चौखटे के अन्तर्गत समाविष्ट की गई हैं, जो इस प्रकार है : रात्रि में अहंदास सेठ अपनी आठ पत्नियों को कहानियां सुनाता है कि उसे किस प्रकार सम्यक्त्व प्राप्त हुआ और वे पत्नियां भी अपनी पारी में अपने-अपने सम्यक्त्व पाने की कहानियां कहती हैं। ये कहानियां उसी समय गुप्त वेश धारण कर अपने मंत्री के साथ घूमते हुए वहाँ आये राजा ने तथा छिपे हुए एक चोर ने सुनी। इन कहानियों में एक राजा सुयोधन की कहानी है। वह राजा अपने सत्यनारायण कोतवाल को जाल में फंसाने के लिए अपने कोषागार में सेंध लगाता है । कोत. वाल उसे सात दिन तक सात कहानियों द्वारा चेतावनी देकर छोड़ देता है पर अन्त में उसका चोर के रूप में भेद खुल जाता है और लोग उसे राज्यच्युत कर देते हैं। यह लघु कथाकोश विभिन्न ग्रन्थकारों द्वारा प्रणीत उपलब्ध है। अब तक ज्ञात प्राचीन कृतियों में सबसे प्राचीन वह सम्यक्त्वकौमुदी है जिसकी रचना मदनपराजय के कर्ता नागदेव ने की है। ये लगभग १४वीं शताब्दी के पूर्वाध के विद्वान् हैं। इसकी प्राचीनतम हस्तलिखित प्रति सं० १४८९ की मिली है। इसमें ३००० श्लोक हैं जिनमें विभिन्न आठ कहानियाँ दी गई हैं। धर्मकल्पद्रुम-यह नौ पल्लवों में विभक्त बृहत् कथाकोश' है जिसका ग्रन्थान ४८१४ श्लोक-प्रमाण है । इसमें अनेकों रोचक कथाएँ दी गई हैं। १. जिनरत्नकोश, पृ० ४२४. २. जैन साहित्य का वृहद् इतिहास, भाग ४, पृ० २१०-२११; उसमें नागदेव कृत रचना का परिचय नहीं दिया गया है। ३. जैन ग्रन्थ कार्यालय, हीराबाग, बम्बई से प्रकाशित; विषय की तुलना और कर्ता के निर्णय के लिए देखें-वर्णी अभिनन्दन ग्रन्थ में श्री राजकुमार जैन का लेख 'सम्यक्त्वकौमुदी के कर्ता', पृ० ३७५-३७९. ४. जिनरत्नकोश, पृ० १८८; देवचन्द्र लालभाई पुस्तकोद्धार, ग्रन्थांक १०, बम्बई, सं० १९७३; द्रष्टव्य-हर्टल का लेख : जेड० डी० एम० जी०, भाग ६५, पृ. ४२९ प्रभृति. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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