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________________ कथा-साहित्य २६१ रचयिता एवं रचनाकाल-इसकी रचना मुनिसागर उपाध्याय के शिष्य उदयधर्म ने आनन्दरत्नसूरि के पट्टकाल में की थी। आनन्दरत्न आगमगच्छीय आनन्दप्रभ के प्रशिष्य और मुनिरत्न के शिष्य थे। मुनिसागर के शिष्य उदयधर्म का और पट्टधर आनन्दरत्न का पता साहित्यिक तथा पट्टावलियों के आधार से लगाने पर भी नहीं चल सका इसलिए रचनाकाल बतलाना कठिन है। जर्मन विद्वान् विण्टरनित्स' का अनुमान है कि ये १५वीं शती या उसके बाद के ग्रन्थकर्ता हैं। धर्मकल्पद्रुम' नाम की अन्य रचनाएँ भी मिलती हैं उनमें दो अज्ञातकर्तृक हैं, एक का नाम वीरदेशना भी है। अन्य दो में से एक के रचयिता धर्मदेव हैं जो पूर्णिमागच्छ के थे और उन्होंने इसे सं० १६६७ में रचा था। दूसरे का नाम परिग्रहप्रमाण है और यह एक लघु प्राकृत कृति है। इसके रचयिता धवलसार्थ ( श्राद्ध-श्रावक ) हैं। ___ दानप्रकाश-यह कथाग्रन्थ ८ प्रकाशों में विभक्त है । ग्रन्थान ३४० श्लोकप्रमाण है । इसमें वसतिदान पर कुरुचन्द्र-ताराचन्द्रनृपकथा (१ प्र०), शय्यादान पर पद्माकर सेठ की (२ प्र०), आसनदान पर करिराजमहीपाल की ( ३ प्र०), भक्तदान पर कनकरथ की (४ प्र०), पानीदान पर भद्र-अतिभद्र नृप की (५ प्र०), औषधिदान पर रेवती की (६ प्र०), वस्त्रदान पर ध्वजभुजंग की (७ प्र०), पात्रदान पर धनपति की (८ प्र०) कथाएँ दी गई हैं। कर्ता एवं कृतिकाल-ग्रन्थान्त में ४ श्लोक की प्रशस्ति दी गई है। इससे ज्ञात होता है कि इसे तपागच्छ के विजयसेनसूरि के प्रशिष्य सोमकुशलगणि के शिष्य कनककुशलगणि ने सं० १६५६ में रचा था । कनककुशल की अन्य कृतियाँ भी मिलती हैं : जिनस्तुति ( सं० १६४१), कल्याणमन्दिरस्तोत्रटीका, भक्तामरस्तोत्रटीका', चतुर्विंशतिस्तोत्रटीका', पंचमीस्तुति (चारों सं० १६५२), विशाललोचनस्तोत्रवृत्ति (सं० १६५३), सकलार्हत्स्तोत्रटीका (सं० १६५४ ), कार्तिक १. विण्टरनित्स, हिस्ट्री आफ इण्डियन लिटरेचर, भाग २, पृ० ५४५. २. जिनरत्नकोश, पृ० १८८-१८९. ३. दोनों प्रकाशित. ४. स्तुतिसंग्रह में मेहसाना से सन् १९१२ में प्रकाशित. ५. अप्रकाशित. ६. त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित के प्रथम २६ पद्यों पर टीका, जैन आत्मानन्द सभा, भावनगर से १९४२ में प्रकाशित. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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