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________________ २३६ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास के समान ही इस कथाकोश की प्रशस्ति भी बड़े ही ऐतिहासिक महत्त्व की है । उसमें लिखा है कि यह कथाकोश उस समय रचा गया था जब वर्धमानपुर विनायकपाल के राज्य में शामिल था और वह राज्य शक्र या इन्द्र के जैसा विशाल था ।" यह विनायकपाल प्रतिहार वंश का राजा था जिसके साम्राज्य की राजधानी कन्नौज थी । यह महेन्द्रपाल का पुत्र था और महीपाल और भोज (द्वितीय) के बाद गद्दी पर बैठा था । उक्त कथाकोश की रचना के लगभग एक ही वर्ष पहले का इस नृप का एक दानपत्र मिला है । यह कथाकोश तत्कालीन संस्कृति के अध्ययन की दृष्टि से बड़ा उपयोगी है । अपने भाइयों चार आराधनाओं के महत्त्व को बतलानेवाले कुछ और कथाकोश रचे गये हैं । उनमें प्रभाचन्द्र, सिंहनन्दि, नेमिचन्द्र, ब्रह्मदेव के संस्कृत में हैं और छत्रसेन का प्राकृत में । यहाँ दो का परिचय प्रस्तुत है : १. कथाकोश - इसमें चार आराधनाओं का फल पानेवाले धर्मात्मा पुरुषों की कथाएँ दी गई हैं। यह सरल संस्कृत गद्य में है । बीच-बीच में संस्कृतप्राकृत के उद्धरण दिये गये हैं । इसकी सभी कथाएँ शिवार्य की भगवती आराधना से सम्बद्ध हैं । यह कथाकोश 'आराधना सत्कथा - प्रबंध' भी कहलाता है । ग्रन्थ दो भागों में विभक्त है पर विषय और शैली से ज्ञात होता है कि वे भाग एक ही कर्ता ने अपने जीवन के पूर्व और पश्चाद् भाग में लिखे थे। ९० कथायें हैं और दूसरे भाग में ३२ । पहले भाग में कर्ता और कृतिकाल — इसकी रचना परमार नरेश भोज के उत्तराधिकारी जयसिंहदेव के राज्यकाल में प्रभाचन्द्र ने धारानगर में की है । पहले भाग के अन्त में उन्होंने अपने को पण्डित प्रभाचन्द्र और दूसरे के अन्त में भट्टारक प्रभाचन्द्र कहा है । इनका समय वि० सं० १०३७ से १११२ तक माना जाता १. विनायकादिपालस्य राज्ये शक्रोपमानके ॥ १३ ॥ इस पद्य की विशेष व्याख्या के लिए देखें - डा० पोलिटिकल हिस्ट्री आफ नार्दर्न इण्डिया, इतिहास, पृ० २२० - २३. गु० च० चौधरी, पृ० ४४; जैन साहित्य और २. जिनरत्नकोश, पृ० ३२; विशेष परिचय के लिए देखें - डा० उपाध्ये द्वारा लिखित बृहत्कथाकोश की अंग्रेजी प्रस्तावना, पृ० ६०-६१ ( सिंघी जैन ग्रन्थमाला, १७ ). Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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