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________________ २३७ कथा-साहित्य है। इनके अन्य ग्रन्थ हैं : प्रमेयकमलमार्तण्ड, न्यायकुमुदचन्द्र, तत्त्वार्थवृत्तिपदविवरण, शाकटायनन्यास, शब्दाम्भोजभास्कर, प्रवचनसारसरोजभास्कर, महापुराणटिप्पण. रत्नकरण्डटीका, समाधितन्त्रटीका आदि । २. कथाकोश-यह संस्कृत श्लोकों में रचित है। एक तरह से प्रभाचन्द्र कृत गद्यात्मक कथाकोश का ही पद्यात्मक एवं विस्तृत रूपान्तर है। फिर भी इसमें प्रभाचन्द्र के कथाकोश की १७ कथायें नहीं हैं और ९ नई कथायें जोड़ी गई हैं। प्रभाचन्द्रकृत रत्नकरण्डटीका में दी गई कई कथाओं से इसकी कथाएँ मिलती हैं। इसमें १०० से अधिक कथाएँ हैं। इसके रचयिता ब्रह्म नेमिदत्त हैं। इनका समय १६वीं शताब्दी का प्रारंभ है । इन्होंने अपने गुरुभ्राता मल्लिषेण भट्टारक के अनुरोध पर इसकी रचना की थी। कुछ कथाकोश विभिन्न नामों से मिलते हैं । कथाकोशप्रकरण-यह ग्रन्थ' मूल और वृत्ति रूप में है। मूल में केवल ३० गाथाएँ हैं और इन गाथाओं में जिन कथाओं का उल्लेख है वे ही प्राकृत वृत्ति के रूप में विस्तार के साथ गद्य में लिखी गई हैं। इसमें मुख्य कथाएं ३६ और ४-५ अवान्तर कथाएँ हैं। इनमें बहुत-सी कथाएं प्रायः प्राचीन जैन ग्रन्थों से ली गई हैं पर यहाँ कथाकार ने उन्हें नई शैली में, नये रूप में प्रस्तुत किया है। इनमें कुछ कथाएं नई कल्पित भी हैं जिनका उल्लेख कवि ने स्वयं किया है। यह ग्रन्थ सामान्य श्रोताओं को लक्ष्य में रखकर बनाया गया है। इसके प्रारंभ की ७ कथाओं में जिन भगवान की पूजा का फल, ८वीं में जिनस्तुति का फल, ९वीं में साधुसेवा का फल, १०-२५वीं तक १६ कथाओं में दानफल, इसके आगे ३ कथाओं में जैनशासन-प्रभावना का फल, २ कथाओं में मुनियों १. जिनरत्नकोश, पृ. ३२, बृहत्कथाकोश, प्रस्तावना, पृ० ६२-६३, इसका हिन्दी अनुवाद तीन भागों में जैनमित्र कार्यालय, हीराबाग, बम्बई से वीर सं० २४४० में प्रकाशित हुआ है। २. सिंघी जैन ग्रन्थमाला, सं० २५, जिनरत्नकोश पृ. ६४. १. जिणसमयपसिद्धाई पायं चरियाई हंदि एयाई । भवियाण गुग्गहहा काइंपि परिकप्पियाई पि ॥ गाथा २६.. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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