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जैन साहित्य का बृहद् इतिहास
अतीत के साहित्य में भी हो सकते हैं । आज के कथा साहित्य का उद्देश्य केवल लोकरुचि का मनोरंजन मात्र नहीं है अपितु पाठकों के लिए किसी विचार दर्शन का प्रस्तुत करना भी है, उसी तरह जैन कथाओं का उद्देश्य भी जैन विचार-आचार अर्थात् कर्मवाद तथा संयम, व्रत, उपवास, दान, पर्व, तीर्थ आदि के माहात्म्य को प्रकट करना है । यद्यपि इस दृष्टि से वे आदर्शोन्मुखी हैं पर ऐसा होते हुए भी जीवन के यथार्थ धरातल पर टिकी हुई हैं इसलिए उनमें सामाजिक जीवन की विविध भंगिमाओं के दर्शन होते हैं । कथानक की दृष्टि से इन कथाओं का क्षेत्र भी बड़ा व्यापक है । इनमें नीतिकथा, लोककथा, पशुपक्षिकथा, भावात्मक ध्वनिकथा, धर्मकथा, पुरातन कथा, दैवतकथा, दृष्टान्तकथा, परीकथा, कल्पितकथा आदि सभी प्रकार की कथाओं को स्थान मिला है । यद्यपि अधिकांश जैन कथानक घटनाबहुल हैं पर उन्हें घटनाप्रधान नहीं कह सकते उनका उद्देश्य पात्रों की चरित्रगत विशेषताओं को उभारते हुए पाठक को एक निश्चित लक्ष्य तक पहुँचाना है । कथानक की भाँति जैन कथा - साहित्य के पात्रों का क्षेत्र भी बड़ा व्यापक है । उसमें राजा से लेकर दरिद्र, ब्राह्मण से लेकर चाण्डाल, साहूकार से लेकर चोर, पतिव्रता से लेकर वेश्या तक, सभी वर्गों के पात्र समाविष्ट हैं । पुरुष, स्त्री, देव, यक्ष, किन्नर, विद्याधर, मुनि, बाल, वृद्ध, युवा और यहाँ तक कि पशु-पक्षी भी पात्र के रूप में विद्यमान हैं। आज के कहानीकार का उद्देश्य अपने पात्रों का चारित्रिक विश्लेषण करना है । वह उनके मानसिक अन्तर्द्वन्द्व को दिखाता है, उनके चारित्रिक मनोविज्ञान का अध्ययन प्रस्तुत करता है और उनके अन्तर्तम के गूढ़ रहस्यों का उद्घाटन करता है परन्तु प्राचीन कथाओं की भाँति जैन कथाओं में भी पात्र केवल निमित्त हैं । वहाँ पात्रों की अवतारणा वास्तव में बुराई का अन्त बुराई और भलाई का अन्त भलाई में दिखाने के लिए की गई है । शैली की दृष्टि से भी आधुनिक और प्राचीन कथाओं में बड़ा अन्तर है । आज की कहानियों में विभिन्न शैलियों के दर्शन होते हैं। कहीं वे कलात्मक हैं तो कहीं आत्मचरित्र शैली में या किसी अन्य प्रकार में पर प्राचीन कथाओं की भाँति जैन कथाएँ इतिवृत्तात्मक शैली में अधिक हैं, जैसे अमुक नगर में अमुक राजा या व्यक्ति रहता था ।
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यहाँ हम जैन कथा-साहित्य के कतिपय अमूल्य रत्नों— कृतियों का परिचय प्रस्तुत करते हैं। वैसे तो जैन पुराणों में भारतीय कथा - साहित्य के ऐसे अनेक रत्न मिले हैं जो अन्यत्र दुर्लभ हैं फिर भी पृथक् रूप से अनेक प्रकार की बड़ी कृतियाँ और लघु कथाओं के संग्रह बहुसंख्या में मिले हैं।
यहाँ वर्णनक्रम में सर्वप्रथम हम उन कथा-कोशों का परिचय दे रहे हैं जो
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