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________________ जैन साहित्य का वृहद् इतिहास बोध संस्कृत में तथा प्राकृत, अपभ्रंश एवं नाना जनपदीय भाषाओं-तमिल, कन्नड, मराठी, गुजराती, राजस्थानी, हिन्दी में विशाल काव्य साहित्य की रचना प्रस्तुत भाग में हम प्राकृत और संस्कृत में लिखे गये एतद्विषयक साहित्य का विवरण प्रस्तुत करेंगे। तत्कालीन परिस्थितियाँ : किसी भी धर्म या सम्प्रदाय के विशिष्ट साहित्य का अध्ययन करने के लिए उस युग की राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक और साहित्यिक परिस्थितियों का परिचय प्राप्त करना समीचीन होगा। जैनों के काव्य साहित्य की उपलब्ध सामग्री के आधार से हम कह सकते हैं कि उसका निर्माण ईसा की पाँचवीं शती से प्रारम्भ हो गया था। राजनीतिक दृष्टि से यह गुप्तवशी राज्यसत्ता के अस्त का काल था। उत्तर भारत में सन् ४५० के लगभग हूणों का आक्रमण हुआ था। भारत में केन्द्रीय शासन का अभाव हो गया था और वह अनेक स्वतन्त्र संघर्षरत राज्यवंशों में विभक्त हो गया था, और यह स्थिति प्रायः अंग्रेजी शासन स्थापित होने के पूर्व तक बराबर बनी रही। (अ) राजनीतिक परिस्थितियाँ-जैनधर्म ने गुप्तकाल के समय या उससे कुछ पूर्व पश्चिम और दक्षिण भारत को अपने विशिष्ट कार्य-कलापों का केन्द्र बनाया था। वैसे जैनधर्मानुयायी मध्यकाल में बंगाल, उड़ीसा, बिहार और उत्तर प्रदेश के कतिपय स्थानों में बराबर बने रहे पर उनकी तत्कालीन साहित्यिक गतिविधियों का हमें कोई पता नहीं । मध्यकाल में मालवा, राजस्थान, उत्तरी गुजरात तथा दक्षिण भारत के कर्नाटक आदि प्रान्तों में जैनधर्म का अच्छा समादर रहा और अपने साहित्यिक कार्यकलापों में उन्हें जैन जनता के अतिरिक्त राज्यवर्ग से संरक्षण और प्रेरणा मिलती रही। दक्षिण के पूर्वमध्यकालीन राज्यवंशों जैसे गंग, कदम्ब, चालुक्य और राष्ट्रकूटों ने और उनके अधीन अनेक सामन्तों, मन्त्रियों और सेनापतियों ने जैनधर्म को आश्रय ही नहीं दिया बल्कि वे जैन विधि से चलने के लिए प्रवृत्त भी हुए थे। मान्यकट के कुछ राष्ट्रकूट नरेश तो पक्के जैन थे और उनके संरक्षण में कला और १. विमलसूरिकृत 'पउमचरियं' (५३० वि० सं०) तथा संघदास-धर्मदास गणिकृत 'वसुदेवहिरी' (६ठी शताब्दी के पूर्व) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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