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________________ पौराणिक महाकाव्य १६७ रचयिता और रचनाकाल-इसके रचयिता तपागच्छीय आचार्य हेमविमल के शिष्य जिनमाणिक्य या जिनमाणिक्य के शिष्य अनन्तहंस हैं। कुछ विद्वान् अनन्तहंस को ही वास्तविक कर्ता मानते हैं और कुछ उनके गुरु को । ग्रन्थ में रचनाकाल नहीं दिया गया पर तपागच्छपट्टावली में हेमविमल को ५५वाँ आचार्य माना गया और उनका समय १६वीं शताब्दी का प्रारम्भ बैठता है। इसलिए प्रस्तुत कथानक का काल १६वीं शताब्दी का पूर्वार्ध माना जा सकता है। द्वितीय रचना पूर्णिमागच्छ के विद्यारत्न ने लिखी है जिसका समय सं० १५७७ है। ग्रन्थकार की गुरुपरम्परा इस प्रकार है-जयचन्द्र, भावचन्द्र, चारित्रचन्द्र, मुनिचन्द्र (गुरु)। ___ अम्बडचरित्र-अम्बड को ऋषिभाषित सूत्र में प्रत्येकबुद्ध कहकर उनके उपदेशों का संकलन किया है। प्रथम उपांग सूत्र औपपातिक में अम्बड परिव्राजक की कथा दी गई है। संभवतः उसी के चरित्र को लेकर पश्चात्कालीन कवियों ने अपनी अद्भुत कल्पनाओं का संमिश्रणकर ४-५ रचनाएँ लिखी हैं। उनमें से मुनिरत्नसूरिकृत काव्य का ग्रन्थान १२९० है । रचनाकाल ज्ञात नहीं है। अन्य रचनाओं में अमरसुन्दर ( १४५७), हर्ष समुद्रवाचक (सं० १५९९), जयमेरु (सं० १५७१) तथा एक अज्ञातकर्ता की कृतियाँ उपलब्ध हैं। यहाँ केवल एक रचना का परिचय दिया जाता है। अम्बडचरित-इसे अम्बडकथानक भी कहते हैं। इसमें अम्बड का कथानक बड़ी विचित्रता से वर्णित है। पहले वह एक तांत्रिक था और उसने यंत्र-मंत्र के बल से गोरखादेवी द्वारा निर्दिष्ट सात दुष्कर कार्य सम्पन्न कर दिखाये। उसने ३२ सुन्दरियों से विवाह किया और अपार धन एवं राज्य प्राप्त किया। अन्त में उसने प्रव्रजित होकर सल्लेखना-मरण किया। यह कथा संस्कृत में है। इसमें कवि ने अपनी विलक्षण प्रतिभा दिखलाई है और इसे 'सिंहासनद्वात्रिंशिका' में वर्णित विक्रमादित्य के घटनाचक्र के समान घटनाचक्र से सम्बन्धित किया है। १. जैन साहित्य का वृहद् इतिहास, भाग २, पृ० २५-३०, अम्मचरित्र. २. जिनरत्नकोश, पृ० १५; अहमदाबाद से सन् १९२३ में प्रकाशित. ३. वही, पृ० १५. ४. हीरालाल हंसराज, जामनगर, १६१०; इसका जर्मन अनुवाद चार्लस क्राउस ने किया है जो लीपजिग से १९२२ में प्रकाशित हुभा है; विण्टरनिस्स, हिस्ट्री आफ इण्डियन लिटरेचर, भाग २, पृ० ३४० में इसे कौतुकपूर्ण लोककथा कहा है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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