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________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास कवियों को इतना रोचक लगा कि उस पर संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश तथा देशीभाषाओं में १०० से अधिक रचनाएँ उपलब्ध होती हैं। यहाँ कालक्रम से संस्कृत, प्राकृत में उपलब्ध सामग्री तथा स्वतन्त्र काव्यों की सूची प्रस्तुत करते हैं१. संघदासगणि (५-६ वी शता०) वसुदेवहिंडी का कथोत्पत्ति प्रकरण ..(प्राकृत) २. गुणभद्राचार्य (सन् ८५० के लगभग) उत्तरपुराण का ७६वाँ पर्व २१३ श्लोक (संस्कृत) ३. जयसिंहपूरि (सन् ८५८) धर्मोपदेशमाला - विवरण में संक्षेपरूप से कुछ पंक्तियाँ और जम्बूचरित से सम्बद्ध चार कथाएँ प्रकीर्णकरूप में (प्राकृत) ४. भद्रेश्वरसूरि (१०-११वीं शता०) कहावली के अन्तर्गत (प्राकृत) ५. गुणपालमुनि (वि. सं. १०७६ के पूर्व) जम्बूचरिय १६ उद्देशक (प्राकृत) ६. रत्नप्रभसूरि (वि. सं. १२३८) उपदेशमाला पर विशेष वृत्ति के अन्तर्गत (संस्कृत) ७. जिनसागरसूरि-प्रतिष्ठासोम कर्पूरप्रकरण-टीका के अन्तर्गत (संस्कृत) ८. हेमचन्द्राचार्य (वि.सं.१२१७-१२२९) परिशिष्टपर्व-४ पर्व (संस्कृत) (गुणपालकृत जम्बूचरियं के अनुसार) ९. उदयप्रभसरि (वि. सं. १२७९-९०) धर्माभ्युदय महाकाव्य ८ सर्ग (संस्कृत) १०. जयशेखरसूरि (वि. सं. १४३६) जम्बूस्वामिचरित्रकाव्य ६ प्रक० (संस्कृत) ११. रत्नसिंह के शिष्य-नाम अशात (वि. सं. १५१६) जम्बूस्वामिचरित (संस्कृत) १२. ब्रह्मविनदास (वि. सं. १५२०) जम्बूस्वामिचरित्र, ११ संधियाँ (संस्कृत) . .. जिनरत्नकोश, पृ० १२९-१३२; १०,विमलप्रकाश जैन द्वारा सम्पादित ____ जम्बूसामिचरिउ की प्रस्तावना, भारतीय ज्ञानपीठ वाराणसी. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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