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________________ पौराणिक महाकाव्य १५३ सम्भवतः कवि ओडेय जाति के सरदार कुमार थे क्योंकि इनका नाम ओडयदेव भी मिलता है। उड़ीसा और तमिलदेश की लोककथाओं में आज भी जीवन्धर की कथा पाई जाती है। कवि के जीवन के सम्बन्ध में कुछ भी ज्ञात नहीं। इन्होंने अपने गुरु का नाम पुष्पसेन बतलाया है। विद्वानों का अनुमान है कि वादीभसिंह इनकी उपाधि थी क्योंकि इन्होंने अनेक वादिरूपी सिंहों को जीता था। कवि के समय के सम्बन्ध में विद्वानों में एकमत नहीं है। पर अधिकांश मतों के अनुसार ये या तो ११वीं शताब्दी के प्रारम्भ के कवि थे या उक शताब्दी के उत्तरार्ध के। कवि की अन्य रचनाओं में 'गद्यचिन्तामणि' और 'स्याद्वादसिद्धि' प्रकाशित हैं। एक अन्य जीवन्धरचरित के रचयिता भट्टारक शुभचन्द्र हैं। इसमें १३ सर्ग हैं। कवि ने इसे धर्मकथा कहा है और इसकी रचना सं० १६०३ में नवीननगर के चन्द्रप्रभ जिनालय में की थी। रचयिता का विशेष परिचय और उनकी रचनाओं का निर्देश हमने उनकी अन्य रचना 'पाण्डवपुराण' के प्रारम्भ में किया है। जीवन्धर-सम्बन्धी गद्यात्मक कृति गद्यचिन्तामणि का गद्यकाव्यों में और जीवन्धरचम्पू का चम्पूकाव्यों में परिचय दिया जायगा। शेष रचनाओं का उल्लेखमात्र मिलता है। जम्बूस्वामिचरित-जम्बू भग० महावीर के अन्तिम गणधर तथा जैनमान्य २४ अतिशय रूपवान ( कामदेव) पुरुषों में अन्तिम थे। यह चरित भी जैन १. समयनिर्णय के लिए देखें, न्यायकुमुदचन्द्र (मा० दि० ग्रन्थ०), प्रस्तावना, पृ० १११; स्याद्वादसिद्धि (मा० दि० ग्रन्थ०), प्रस्तावना, पृ० ११; जैन साहित्य और इतिहास, बम्बई, १९५६, पृ० ३२४-३२८; गयचिन्तामणि, श्रीरंगम्, १९१६, प्रस्तावना, पृ० ७-८, जैन सिद्धान्त भास्कर, भारा, भाग ६, किरण २, पृ०७४-८७ तथा भाग ७, किरण १, पृ० १-८; हिस्ट्री आफ क्लासिकल संस्कृत लिटरेचर (एम. कृष्णमाचारी), मद्रास, १९३७, पृ० १७७, गथचिन्तामणि (भारतीय ज्ञानपीठ वाराणसो), प्रस्तावना. २. राजस्थान के जैन सन्त : व्यक्तित्व एवं कृतित्व, पृ० १००, प्रशस्ति, पच ७ में रचनाकाल दिया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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