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________________ पौराणिक महाकाव्य पण्डित जगन्नाथकृत 'सुभौमचरित्र' नामक एक अन्य रचना का उल्लेख मिलता है। नवम चक्रवर्ती महापद्म के चरित्र का वर्णन करनेवाली किसी कृति का उल्लेख नहीं मिलता पर दशम हरिषेण पर प्राकृत में हरिषेणचरित्र' का उल्लेख मिलता है । इसी तरह एकादशम चक्रवर्ती पर प्राकृत में जयचक्रीचरित्र का उल्लेख मिलता है। बारहवं चक्रवर्ती पर ब्रह्मदत्तचक्रवर्तिकथानक या ब्रह्मदत्तकथा' नामक रचना का भी उल्लेख आया है । त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र (हेमचन्द्र ) के ९वे पर्व में भी विस्तार से बारहवें चक्रवर्ती का चरित वर्णित है जिसका नाम ब्रह्मदत्तचक्रवर्तिकथानक है।' नव अर्धचक्रवर्ती या ९ वासुदेवों पर केवल कृष्ण को छोड़ अन्य किसी पर कोई रचना स्वतंत्र रूप से नहीं मिलती। कृष्णचरित ( कण्हचरिय)-यह चरित श्राद्धदिनकृत्य नामक ग्रन्थ के अन्तर्गत दृष्टान्तरूप में आया है। वहीं से उद्धृत कर स्वतंत्र रूप में प्रकाशित किया गया है। इसमें ११६३ प्राकृत गाथाएँ हैं। इसमें वसुदेवचरित, कंसचरित, चारुदत्तचरित, कृष्ण-बलरामचरित, राजीमतीचरित, नेमिनाथचरित, द्रौपदीहरण, द्वारिकादाह, बलदेव-दीक्षा, नेमि-निर्वाण और बाद में कृष्ण के भावितीर्थकर-अमम नाम से होने का वर्णन किया गया है। समस्त कथा का आधार वसुदेवहिण्डी एवं जिनसेनकृत हरिवंशपुराण है। यह रचना आदि से अन्त तक कथाप्रधान है। रचयिता एवं रचनाकाल-इसके रचयिता तपागच्छीय देवेन्द्रसूरि हैं। इनकी अन्य रचना सुदंसणाचरियं अर्थात् शकुनिकाविहार भी मिलती है जिसमें ग्रन्थकार ने अपना परिचय दिया है कि वे चित्रापालकगच्छ के भुवनचन्द्र गुरु, उनके शिष्य देवभद्र मुनि, उनके शिष्य जगच्चन्द्रसूरि के शिष्य थे। उनके एक १. जिनरत्नकोश, पृ० ४४६. २. वही, पृ० ४६:. ३. वही, पृ० १३३. ४. वही, पृ० २८६. ५. वही. ६. ऋषभदेव केशरोमल श्वेताम्बर संस्था, रतलाम, सन् १९३८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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