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________________ पौराणिक महाकाव्य १२७ अममस्वामिचरित : ___इस विशाल ग्रन्थ' में भावितीर्थकर अममस्वामि का चरित २० सर्गों में वर्णित है । इसमें १० हजार से अधिक पद्य हैं । इसमें श्रीकृष्ण के जीव को आनेवाली उत्सर्पिणी के चतुर्थ काल में अमम नाम से १२वें तीर्थंकर होने की कथा वर्णित है। प्रसंगवश प्रथम छ सर्गों में जीवदया पर दामनककथा, उसकी शिथिलता पर शूद्रकमुनिकथा, उसके त्याग पर निम्बकमुनिकथा, रहस्यभेद पर काकजंघकथा, मित्रकार्य पर दृढमित्रकथा, पांडित्य पर सुन्दरी-वसन्तसेनाकथा तथा अवान्तर में लोभनन्दी, सर्वङ्गिल, सुमति, दुर्मति द्यूतकारकुन्द, कमलश्रेष्ठी, सती सुलोचना, कामांकुर, ललिताङ्ग, अशोक, ब्रह्मचारिभतृ-भार्या, दुर्गविप्रकथा, तोसलि राजपुत्रकथाएँ कही गई हैं। इसके बाद हरिवंश की उत्पत्ति, उसमें मुनिसुव्रत जिनेश्वर का पूर्वभववर्णन, भृगुकच्छ में अश्वावबोधतीर्थ की उत्पत्ति, मुनिसुव्रत के वंश में इलापतिराज का वर्णन, क्षीरकदम्बक-नारद-वसुराज-पर्वतकथा, नन्दिघेणकथा, कंस तथा प्रतिवासुदेव जरासंध की उत्पत्ति, वसुदेवचरित्रकथा, चारुदत्त-रुद्रदत्तकथा, उसके अन्तर्गत मेघदेवकथित यज्ञपशुहिंसा का इतिहास, अथर्ववेदकर्ता पिप्पलाद की उत्पत्ति, नल-दमयन्तीकथा, कुबेरदेवपूर्वभवकथा-ये सब प्रथम ६ सर्गों के अन्तर्गत कही गई हैं। इसके बाद नेमिनाथ का जन्म, कृष्णवध, द्वारिकारचना, कृष्ण का राज्याभिषेक, रुक्मिणी का विवाह, पाण्डव-द्रौपदीस्वयंवर, प्रद्युम्न-शाम्ब का चरित, जरासंधवधादि, राजीमतिवर्णन, नेमिनाथ की दीक्षा, द्वारिकादाह, कृष्ण की मृत्यु, पाण्डवशेषकथा, नेमिनाथ का मोक्षगमन आदि: अवसर्पिणी से उत्सर्पिणी आना, भाविजिन अमम का जन्म, बाल्यादि वयोवर्णन, विवाह-यौवराज्य, राज्याभिषेक, संमतिनृपदीक्षा, अमम-दीक्षा, केवलज्ञान, समवशरण, धर्मदेशना. सम्यक्त्व के ऊपर सूरराज की कथा, धर्म के ऊपर राजपुत्र पुष्पसार और मंत्रिपुत्र क्षेमंकर की कथा, अन्त में अममस्वामी के गणधरों का वर्णन, तत्कालीन सुन्दरबाहु वासुदेव और प्रतिवासुदेव वज्रजंघ के बाद अममस्वामी के निर्वाण का वर्णन है। कर्ता-इस प्रन्थ के कर्ता चन्द्रगच्छीय पूर्णिमामत प्रकट-कर्ता श्रीमान् चन्द्रप्रभसूरि के शिष्य धर्मघोषसूरि के शिष्य समुद्रघोषसूरि के शिष्य मुनिरत्नसूरि हैं। उन्होंने यह ग्रन्थ कोषाध्यक्षमंत्री यशोधवल के पुत्र बालकवि मंत्री जगहेव की प्रार्थना से वि० सं० १२५२ वर्ष में पत्तननगर में लिखा था। इसका संशोधन १. पंन्यास मणिविजय ग्रंथमाला, अहमदाबाद, वि० सं० १९९८, जिनरत्न कोश, पृ० १४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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