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________________ पौराणिक महाकाव्य हैं। कवि ने इस काव्य की रचना धर्मभावना से प्रेरित होकर स्वान्तः सुखाय की है।' कवि का विशेष परिचय उनकी अन्यकृति पाश्वनाथचरित के प्रसंग में दिया गया है। २. शान्तिनाथचरित : ___यह ६ सर्गात्मक कृति है। इसमें ५००० श्लोक हैं। इसके रचयिता पौर्णमिकगच्छीय अजितप्रभसूरि हैं जो वीरप्रभसूरि के शिष्य हैं। इनकी गुरुपरम्परा इस प्रकार थी : पौर्णमिकगच्छ में चन्द्रसूरि, उनके शिष्य देवसूरि, उनक तिलकप्रभ और उनके शिष्य वीरप्रभ । इस ग्रन्थ की रचना सं० १३०७ में हुई थो । इस सूरि का एक अन्य ग्रन्थ भावनासार मिलता है जो उक्त चरित से पहले बनाया गया था। ३. शान्तिनाथचरित: __यह सात सर्ग का एक काव्य है।' इसका प्रमाण ४८५५ श्लोक है। इस काव्य के कथानक का आधार प्राचीन चरित ग्रन्थ हैं। सर्गों के नाम वर्णनीय कथा पर आधारित हैं। एक सर्ग में एक ही छन्द का प्रयोग किया गया है और सर्गान्त में विभिन्न छन्दों के द्वारा कथा परिवर्तन की ओर किंचित् संकेत किया गया है। इसमें शान्तिनाथ, वज्रायुध, अशनिघोष, सुतारा आदि के भवान्तरों का वर्णन किया गया है। अन्य पुराणों की भाँति इसमें अलौकिक और अतिप्राकृतिक कार्यों की भरमार है। मंगलकुम्भ धनद, अमरदत्त नृप आदि अनेक अवान्तर कथाओं की योजना के कारण कथानक में शिथिलता आ गई है। १. शान्तिनाथचरित, सर्ग १, श्लोक ३३.३४ः प्रक्रान्तोऽयमुपक्रमः खलु मया किं तरंगह्यक्रमः । स्वस्यानुस्मृतये जडोपकृतये चेतो विनोदाय च ॥ २. जैनधर्म प्रसारक सभा, भावनगर, सं० १९७३, जिनरत्नकोश, पृ० ३७९; विडिलयो० इण्डिका। इसका गुजराती अनुवाद भी उपलब्ध है जो जैन आत्मानन्द सभा, भावनगर से सं० २००३ में प्रकाशित हुआ है। ३. जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, पृ० ४१०. ४. हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमन्दिर, पाटन, हस्त० क्र. ४२५ तथा ६८४०. इस कृति का परिचय डा. श्यामशंकर दीक्षित के शोधप्रबन्ध 'तेरहवीं-चौदहवीं शताब्दी के जैन संस्कृत-महाकाव्य' के अप्रकाशित अंश में विस्तार के साथ दृष्टव्य है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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