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________________ ८८ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास (हर्षपुरीय गच्छ के अभयदेव के शिष्य ) की ५१०० ग्रन्थान प्रमाण (१२ वीं का उत्तरार्ध) है तथा तीसरी बृहद्गच्छ के वादिदेव सूरि के शिष्य रत्नप्रभसूरि कृत विशाल रचना है जिसका रचना-संवत् १२३३ है। यह गद्य-पद्यमय रचना ६ अध्यायों में विभक्त है । इसका ग्रन्थान १३६०० प्रमाण है।' पासनाहचरिय: इसमें २३ वें तीर्थकर पार्श्वनाथ का चरित विस्तार से दिया है जो पांच प्रस्तावों में विभक्त है। यह प्राकृत गद्य-पद्य में लिखी गई सरस रचना है जिसमें समासान्त पदावली और छन्द की विविधता देखने में आती है। इसमें संस्कृत के अनेक सुभाषित भी उद्धत है । इसका ग्रन्थान ९००० प्रमाण है। इस ग्रन्थ की अपनी विशेषता है। अन्य ग्रन्थों में पार्श्वनाथ के दस भवों का वर्णन मिलता है। तीसरे, पांचवें, सातवें और नवे भव में देवलोक एवं नव ग्रैवेयक में देव रूप से पार्श्वनाथ उत्पन्न हुए थे। इन चार भवों की गणना इस चरित्र के लेखक ने नहीं ली, इसलिए शेष छ: भवों का वर्णन ही दिया गया है। पहले प्रस्ताव में पार्श्वनाथ के दो पूर्व भवों का उल्लेख है। पहले भव में मरुभूति नाम से मंत्रिपुत्र हुए। उसमें कमठ नाम के अपने भाई से मृत्यु पाई। दूसरे भव में मरुभूति और कमठ क्रमशः हाथी और कुक्कुट सर्प हुए । दूसरे प्रस्ताव में तीसरे भव में दोनों क्रमशः कनकवेग विद्याघर और सर्प हुए। चौथे भव में वे वज्रनाभ राजा और भील का रूप धारण करते हैं। भील के बाण से उक्त राजा की मृत्यु हुई। पांचवे भव में वे दोनों क्रमशः कनक चक्रवर्ती और सिंह हए । सिंह ने मुनि अवस्था में चक्रवर्ती को मार डाला। तीसरे प्रस्ताव में छठे भव में मरुभूति वाराणसी के राजा अश्वसेन और वामा के पुत्र २३ वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के रूप में जन्म लेते हैं और कमठ कठ नामक तापस तथा मेघमाली नामक देव हुआ। इसी प्रस्ताव में पार्श्वनाथ की दीक्षा और तपस्या का वर्णन है तथा मेघमाली देव द्वारा उपसर्ग का वर्णन है। चतुर्थ प्रस्ताव में पार्श्वनाथ को केवल ज्ञान की प्राप्ति तथा धर्मोपदेश के प्रसंग में अपने पिता के प्रश्न पर दश गणधरों के पूर्व भवों का वर्णन है। पांचवें प्रस्ताव में १. जिनरत्नकोश, पृ० २१७. २. जिनरत्नकोश, पृ० २४४; प्रकाशित-अहमदाबाद, १९४४, गुजरातो अनु वाद-जैन मात्मानन्द सभा, भावनगर, वि० सं० २००५. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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