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________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास हैमप्रकाश (हैमप्रक्रिया-बृहन्न्यास): तपागच्छीय उपाध्याय विनयविजयजी ने जो 'हैमलघुप्रक्रिया' ग्रंथ की रचना की है उस पर उन्होंने ३४००० श्लोक-परिणाम स्वोपज्ञ 'हैमप्रकाश अपरनाम 'हैमप्रक्रिया बृहन्न्यास" की रचना वि० सं० १७९७ में की है । 'सिद्धहेमशब्दानुशासन' के सूत्र 'समानानां तेन दीर्घः' ( १. २. १) के हैमप्रकाश में कनकप्रभसूरिकृत 'न्याससारसमुद्धार' से भिन्न मत प्रदर्शित किया गया है। इस प्रकार बहुत स्थलों में उन्होंने पूर्व वैयाकरणों से भिन्न मत का प्रदर्शन कर. अपनी व्याकरण-विषयक प्रतिभा का परिचय दिया है । चन्द्रप्रभा (हेमकौमुदी): ___ तपागच्छीय उपाध्याय मेघविजयजी ने 'सिद्धहेमशब्दानुशासन' के सूत्रों पर भट्ठोजीदीक्षितरचित सिद्धान्तकौमुदी के अनुसार प्रक्रियाक्रम से 'चंद्रप्रभा' अपरनाम 'हेमकौमुदी नामक व्याकरणग्रंथ की वि० सं० १७५७ में आगरे में रचना की है। पुष्पिका में इसको 'बृहत्प्रक्रिया' भी कहा है। इसका ९००० श्लोक-परिमाण है। कर्ता ने अपने शिष्य भानुविजय के लिये इसे बनाया और सौभाग्यविजय एवं मेरुविजय ने दीपावली के दिन इसका संशोधन किया था । यह ग्रंथ प्रथमा वृत्ति और द्वितीया वृत्ति इन दो विभागों में विभक्त है। 'टादौ स्वरे वा' (१.४.३२) पृ० ४० में 'की', 'किरौ' इत्यादि रूपों की साधनिका में पाणिनीय व्याकरण का आधार लिया गया है, सिद्धहेमशब्दानुशासन का नहीं; यह एक दोष माना गया है । हेमशब्दप्रक्रिया : सिद्धहेमशब्दानुशासन पर यह छोटा-सा ३५०० श्लोक-परिमाण मध्यम प्रक्रिया व्याकरणग्रंथ उपाध्याय मेघविजयगणि ने वि० सं० १७५७ के आसपास में बनाया है । इसकी हस्तलिखित प्रति भांडारकर इन्स्टीट्यूट, पूना में है । हेमशब्दचन्द्रिका: उपाध्याय मेघविजयगणि ने सिद्धहेमशब्दानुशासन के अधार पर ६०० श्लोकप्रमाण यह छोटा-सा ग्रंथ विद्यार्थियों के प्राथमिक प्रवेश के लिए तीन प्रकाशों में अति संक्षेप में बनाया है। यह ग्रंथ मुनि चतुरविजयजी ने संपादित करके १. यह ग्रन्थ दो भागों में बंबई से प्रकाशित हुभा है। २. जैन श्रेयस्कर मंडल, मेहसाना से यह ग्रंथ छप गया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
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