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________________ व्याकरण पुष्पिका में है। भाषा संस्कृत है और चार-चार पादवाले तीन अध्याय पद्यों में हैं । कहीं-कहीं गद्य भी है । यह ग्रंथ शायद 'सि० श०' के गणों का निर्देश करता हो। इसका ९०० ग्रंथाग्र है। कुमारपाल ने 'नम्राखिल०' से आरंभ करके 'साधारणजिनस्तवन' नामक संस्कृत स्तोत्र की रचना की है। - इस 'गणदर्पण' की प्रति ५०० वर्ष प्राचीन है जो वि० सं० १५१८ (शाके १३८३ ) में देवगिरि में देवडागोत्रीय ओसवाल वीनपाल ने लिखवाई है । प्रति खरतरगच्छीय मुनि समयभक्त को दी गई है। इनके शिष्य पुण्यनन्दि द्वारा रचित सुप्रसिद्ध 'रूपकमाला' की प्रशस्ति के अनुसार ये आचार्य सागरचन्द्रसूरि के शिष्य रत्नकीर्ति के शिष्य थे। प्रक्रियाग्रन्थ : ___व्याकरण-ग्रन्थों में दो प्रकार के क्रम देखने में आते हैं : १ अध्यायक्रम (अष्टाध्यायी) और २ प्रक्रियाक्रम । अध्यायक्रम में सूत्रों का विषयक्रम, उनका बलाबल, अनुवृत्ति, व्यावृत्ति, उत्सर्ग, अपवाद, प्रत्यपवाद, सूत्ररचना का प्रयोजन आदि बाते दृष्टि में रखकर सूत्ररचना होती है। मूल सूत्रकार अध्यायक्रम से ही रचना करते हैं। बाद में होनेवाले रचनाकार उन सूत्रों को प्रक्रियाक्रम में रखते हैं। सिद्धहेम-शब्दानुशासन पर भी ऐसे कई प्रक्रियाग्रंथ हैं, जिनका व्यौरेवार निर्देश हम यहां करते हैं। हेमलघुप्रक्रिया: तपागच्छीय उपाध्याय विनयविजयगणि ने सिद्धहेमशब्दानुशासन के अध्यायक्रम को प्रक्रियाक्रम में परिवर्तित करके वि० सं० १७१० में 'हैमलघुप्रक्रिया' नामक ग्रंथ की रचना की है । यह प्रक्रिया १. नाम, २. आख्यान और ३. कृदन्त- इन तीन वृत्तियों में विभक्त है। विषय की दृष्टि से संज्ञा, संधि, लिङ्ग, युष्मदस्मद्, अव्यय, स्त्रीलिङ्ग, कारक, समास और तद्धित-इन प्रकरणों में ग्रन्थ-रचना की है । अंत में प्रशस्ति है। हैमबृहत्प्रक्रिया: उपाध्याय विनयविजयजीरचित 'हैमलघुप्रक्रिया' के क्रम को ध्यान में रखकर आधुनिक विद्वान् मयाशंकर गिरजाशंकर ने उस पर बृहद्वृत्ति की रचना करके उसको 'हैमबृहत्प्रक्रिया' नाम दिया है । यह ग्रन्थ छपा है । इसका रचनाकाल वि० २० वीं शती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
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