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________________ व्याकरण इस व्याकरण में पाँच अध्याय होने से इसे 'पञ्चाध्यायो' भी कहते हैं। इसमें प्रकरण-विभाग नहीं है। पाणिनि की तरह विधानक्रम को लक्ष्य कर सूत्र-रचना की गई है। एकशेष प्रकरण-रहित याने अनेकशेष रचना इस व्याकरण की अपनी विशेषता है। संज्ञाएँ अल्पाक्षरी हैं और 'पाणिनीय व्याकरण' के आधारपर यह ग्रन्थ है परन्तु अर्थगौरव बढ़ जाने से यह व्याकरण क्लिष्ट बन गया है। यह लौकिक व्याकरण है, इसमें छांदस् प्रयोगों को भी लौकिक मानकर सिद्ध किये गये हैं। देवनंदि ने इसमें श्रीदत्त', यशोभद्र', भूतबलि, प्रभाचन्द्र', सिद्धसेन और समंतभद्र-इन प्राचीन जैनाचार्यों के मतों का उल्लेख किया है। परन्तु इन आचार्यों का कोई भी व्याकरण-ग्रंथ अद्यापि प्राप्त नहीं हुआ है, न कहीं इनके वैयाकरण होने का उल्लेख ही मिलता है। जैनेन्द्रव्याकरण' के दो तरह के सूत्रपाठ मिलते हैं। एक प्राचीन है, जिसमें ३००० सूत्र हैं, दूसरा संशोधित पाठ है, जिसमें ३७०० सूत्र हैं। इनमें भी सब सूत्र समान नहीं हैं और संज्ञाओं में भी भिन्नता है। ऐसा होने पर भी बहुत अंश में समानता है । दोनों सूत्रपाठों पर भिन्न-भिन्न टीकाग्रन्थ हैं, उनका परिचय अलग दिया गया है। पं० कल्याणविजयजी गणि इस व्याकरण की आलोचना करते हुए इस प्रकार लिखते हैं : "जैनेन्द्रव्याकरण आचार्य देवनन्दि की कृति मानी जाती है, परंतु इसमें जिन-जिन आचार्यों के मत का उल्लेख किया गया है, उनमें एक भी व्याकरणकार होने का प्रमाण नहीं मिलता। हमें तो ज्ञात होता है कि पिछले किन्हीं दिगम्बर जैन विद्वानों ने पाणिनीय अष्टाध्यायी सूत्रों को अस्त-व्यस्त कर यह कृत्रिम व्याकरण बनाकर देवनन्दि के नाम पर चढ़ा दिया है।" १. 'गुणे श्रीदत्तस्यास्त्रियाम् ॥ १. ४.३४ ॥ २. 'कृवृषिमुजां यशोभद्रस्य' ॥ २. १. ९९ ॥ ३. 'राद् भूतबलेः' ॥ ३. ४. ८३ ॥ ४. 'रात्रैः कृतिप्रभाचन्द्रस्य' ॥ ४. ३. १८० ॥ ५. 'वेत्तेः सिद्धसेनस्य' ॥ ५. १. ७ ॥ ६. 'चतुष्टयं समन्तभद्रस्य' ॥ ५. ४. १४०॥ ७. 'प्रबन्ध-पारिजात' पृ० २१४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
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