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________________ २४० जैन साहित्य का बृहद् इतिहास संचय आदि ग्रन्थ भी रचे हैं परन्तु इनमें से एक भी ग्रन्थ प्राप्त नहीं हुआ है। 'यशस्तिलकचम्पू' जो वि० सं० १०१६ में इन्होंने रचा वह उपलब्ध है। 'नीतिवाक्यामृत' की प्रशस्ति में जिस 'यशोधरचरित' का उल्लेख है वही यह 'यशस्तिलकचम्पू' है । यह ग्रंथ साहित्य-विषय में उत्कृष्ट है। इसमें कई कवियों, वैयाकरणों, नीतिशास्त्र-प्रणेताओं के नामों का उल्लेख है, जिनका ग्रंथकार ने अध्ययनपरिशीलन किया था। ___ नीतिशास्त्र के प्रणेताओं में गुरु, शुक्र, विशालाक्ष, परीक्षित, पराशर, भीम, भीष्म, भारद्वाज आदि के उल्लेख हैं । यशोधर महाराजा का चरित्र-चित्रण करते हुए आचार्य ने राजनीति की बहुत ही विशद और विस्तृत चर्चा की है। 'यशस्तिलक' का तृतीय आश्वास राजनीति के तत्त्वों से भरा हुआ है। सोमदेवसूरि अपने समय के विशिष्ट विद्वान् थे, यह उनके इन दो ग्रन्थों से स्पष्ट प्रतीत होता है। नीतिवाक्यामृत-टीका: 'नीतिवाक्यामृत' पर हरिबल नामक विद्वान् ने वृत्ति की रचना की है। इसमें अनेक ग्रन्थों के उद्धरण देने से इसकी उपयोगिता बढ़ गई है। जिन कृतियों का इसमें उल्लेख है उनमें से कई आज उपलब्ध नहीं हैं। टीकाकार ने बहुश्रुत विद्वान् होने पर भी एक ही श्लोक को तीन-तीन आचार्यों के नाम से उद्धृत किया है। ___ उन्होंने 'काकतालीय' का विचित्र अर्थ किया है। 'स्ववधाय कृत्योत्थापनमिव...' इसमें 'कृत्योत्थापना' का भी विलक्षण अर्थ बताया है।' संभवतः टीकाकार अजैन होने से कई परिभाषाओं से अनभिज्ञ थे, फलतः उन्होंने अपनी व्याख्या में ऐसी कई त्रुटियाँ की हैं।' लघु-अहनीति प्राकृत में रचे गये 'बृहदहन्नीतिशास्त्र' के आधार पर आचार्य हेमचन्द्रसूरि ने कुमारपाल महाराजा के लिये इस छोटे-से 'लघु-अहंन्नीति' ग्रंथ का संस्कृत पद्य में प्रणयन किया था। 1. यह टीका-ग्रंथ मूलसहित निर्णयसागर प्रेस, बंबई से प्रकाशित हुआ था। फिर माणिकचन्द्र जैन ग्रन्थमाला से दो भागों में वि० सं० १९७९ में प्रकाशित हुआ है। २. देखिये-'जैन सिद्धांत-भास्कर' भाग १५, किरण १. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
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