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________________ बाईसवाँ प्रकरण नीतिशास्त्र नीतिवाक्यामृत: जिस तरह चाणक्य ने चन्द्रगुप्त के लिये 'अर्थशास्त्र' की रचना की थी उसी प्रकार आचार्य सोमदेवसूरि ने 'नीतिवाक्यामृत' की रचना वि० सं० १०२५ में राजा महेन्द्र के लिये की थी। संस्कृत गद्य में सूत्रबद्ध शैली में रचित यह कृति ३२ समुद्देशों में विभक्त है : १. धर्मसमुद्देश, २. अर्थसमुद्देश, ३. कामसमुद्देश, ४. अरिषड्वर्ग, ५. विद्यावृद्ध, ६. आन्वीक्षिकी, ७. त्रयी, ८. वार्ता, ९. दण्डनीति, १०. मंत्री, ११. पुरोहित, १२. सेनापति, १३. दूत, १४. चार, १५. विचार, १६. व्यसन, १७. स्वामी, १८. अमात्य, १९. जनपद, २०. दर्ग, २१. कोष, २२. बल, २३. मित्र, २४. राजरक्षा, २५. दिवसानुष्ठान, २६. सदाचार, २७. व्यवहार, २८. विवाद, २९. पाडगुण्य, ३०. युद्ध, ३१. विवाह और ३२. प्रकीर्ण। इस विषयसूची से यह मालूम पड़ता है कि इस ग्रन्थ में राजा और राज्यशासन-व्यवस्थाविषयक प्रचुर सामग्री दी गई है। अनेक नीतिकारों और स्मृतिकारों के ग्रन्थों के आधार पर इस ग्रन्थ का निर्माण किया गया है। आचार्य सोमदेव ने अपने ग्रन्थ में कौटिल्य के 'अर्थशास्त्र' का आधार लिया है और कई जगह समानता होते हुए भी कहीं भी कौटिल्य के नाम का उल्लेख नहीं किया है। ___ आचार्य सोमदेव की दृष्टि कई जगह कौटिल्य से भिन्न और विशिष्ट भी है। सोमदेव के ग्रन्थ में क्वचित् जैनधर्म का उपदेश भी दिखाई पड़ता है। कितने ही सूत्र सुभाषित जैसे हैं और कौटिल्य की रचना से अल्पाक्षरी और मनोरम है। - 'नीतिवाक्यामृत' के कर्ता आचार्य सोमदेवसूरि देवसंघ के यशोदेव के शिष्य नेमिदेव के शिष्य थे। ये दार्शनिक और साहित्यकार भी थे। इन्होंने त्रिवर्गमहेन्द्रमातलिसंजल्प, युक्तिचिंतामणि, षण्णवतिप्रकरण, स्याद्वादोपनिषत् , सूक्ति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
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