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________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास ॐ नमो भगवते पार्श्वरुद्राय चंद्रहासेन खङ्गेन गर्दभस्य सिरं छिन्दय हिन्दय, दुष्टत्रणं हन हन, लूतां हन हन, जालामर्दभं हन हन, गण्डमालां हन हन, विद्रधिं हन हन, विस्फोटकसर्वान् हन हन फट् स्वाहा ॥ २३४ ज्वर पराजय : जयरत्नमणि ने 'ज्वरपराजय' नामक वैद्यक ग्रन्थ की रचना की है । ग्रंथ के प्रारम्भ में ही इन्होंने आत्रेय, चरक, सुश्रुत, भेल, वाग्भट, वृन्द, अंगद, नागसिंह, पाराशर, सोडल, हारीत, तिसट, माधव, पालकाप्य और अन्य ग्रंथों को देखकर इस ग्रन्थ की रचना की है, इस प्रकार का पूर्वज आचार्यों और ग्रंथकारों का ऋण स्वीकार किया है । १ इस ग्रन्थ में ४३९ श्लोक हैं । मंगलाचरण ( श्लो० १ से ७), शिराप्रकरण ( ८ - १६ ), दोषप्रकरण ( १७ - ५१ ), ज्वरोत्पत्तिप्रकरण ( ५२ - १२१ ), वातपित्त के लक्षण ( १२२ - १४८ ), अन्य ज्वरों के भेद ( १४९ - १५६ ), देश-काल को देखकर चिकित्सा करने की विधि ( १५७ - २२४ ), बस्तिकर्माधिकार ( २२५ - ३६९ ), पथ्याधिकार ( ३७० - ३८९ ), संनिपात, रक्तष्टिवि आदि ( ३९० - ४३१ ), पूर्णाहुति ( ४३२ - ४३९ ) – इस प्रकार विविध विषयों का निरूपण है । ग्रंथकार वैद्यक के जानकार और अनुभवी मालूम होते हैं । जयरत्नगणि पूर्णिमापक्ष के आचार्य भावरत्न के शिष्य थे । उन्होंने त्रंबाती (खंभात) में इस प्रन्थ की रचना वि० सं० १६६२ में की थी । १. आत्रेयं चरकं सुश्रुतमयो भेजा ( ला ) भिधं वाग्भटं, सद्वृन्दाङ्गद-नागसिंहमतुलं पाराशरं सोडुलम् | हारीतं तिसरं च माधव महाश्रीपाल काप्याधिकान्, सद्ग्रंथानवलोक्य साधुविधिना चैतांस्तथाऽन्यानपि ॥ श्वेताम्बर मौलिमण्डनमणिः सत्पूर्णिमापक्षवान्, वसतिः समृद्ध नगरे त्र्यंबावतीनामके । श्रीगुरुभावरस्नचरणौ सद्बुद्धया जयरत्न आरचयति ग्रंथं ज्ञानप्रकाशप्रदौ, भिषकप्रीतये ॥ ६ ॥ ३. श्रीविक्रमाद् द्वि-रस-षट् - शशिवत्सरेषु मासि सिते २. यः यस्यास्ते नरवा यातेष्वथो नभसि तिथ्यामथ ग्रन्थोऽरचि Jain Education International प्रतिपदि ज्वर पराजय एष (१६६२), च पक्षे । क्षितिसूनुवारे, For Private & Personal Use Only तेन ॥ ४३७ ॥ www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
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