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अठारहवाँ प्रकरण
अर्घ
अग्घकंड (अर्घकाण्ड):
आचार्य दुर्गदेव ने 'अग्घकंड' नामक ग्रंथ का ग्रहचार के आधार पर प्राकृत में निर्माण किया है। इस ग्रन्थ से यह पता लगाया जा सकता है कि कौन-सी वस्तु खरीदने से और कौन-सी वस्तु बेचने से लाभ हो सकता है।
'अग्घकंड' का उल्लेख 'विशेषनिशीथचूर्णि' में मिलता है। ऐसी कोई प्राचीन कृति होगी जिसके आधार पर दुर्गदेव ने इस कृति का निर्माण किया है।
कई ज्योतिष-ग्रंथों में 'अर्घ का स्वतन्त्र प्रकरण रहता है किन्तु स्वतन्त्र कृति के रूप में यही एक ग्रंथ प्राप्त हुआ है।
१. इमं दग्वं विक्कीणाहि, इमं वा कीणाहि ।
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