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________________ सोलहवां प्रकरण लक्षण लक्षणमाला : आचार्य जिनभद्रसूरि ने 'लक्षणमाला' नामक ग्रंथ की रचना की है। भांडारकर की रिपोर्ट में इस ग्रंथ का उल्लेख है । लक्षण संग्रह : आचार्य रत्नशेखरसूरि ने 'लक्षण संग्रह' नामक ग्रंथ की रचना की है । ' रत्नशेखरसूरि १६ वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में हुए हैं । लक्ष्य-लक्षणविचार : आचार्य हर्षकीर्तिसूरि ने 'लक्ष्य-लक्षणविचार' नामक ग्रंथ की रचना की है । ' हर्षकीर्तिसूरि १७ वीं सदी में विद्यमान थे। इन्होंने कई ग्रंथ रचे हैं । लक्षण : किसी अज्ञातनामा मुनि ने 'लक्षण' नामक ग्रंथ की रचना की है । * लक्षण-अवचूरि : 'लक्षण' ग्रंथ पर किसी अज्ञातनामा जैन मुनि ने 'अवचूरि' रची है । ' लक्षणपक्तिकथा : दिगंबराचार्य श्रुतसागरसूरि ने 'लक्षणपंक्तिक्रथा' नामक ग्रंथ की रचना की है। १, इसका उल्लेख जैन ग्रंथावली, पृ० ९६ में है २. इस ग्रंथ का उल्लेख सूरत-भंडार की सूची में है । ३. यह ग्रंथ बड़ौदा के इंसविजयजी ज्ञानमंदिर में हैं । ४. बड़ौदा के हंसविजयजी ज्ञानमंदिर में यह ग्रंथ है । ५. जिनरत्नकोश में इसका उल्लेख है । For Private & Personal Use Only. Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
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