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जैन साहित्य का बृहद् इतिहास स्वप्नप्रदीप:
'स्वप्नप्रदीप' का दूसरा नाम 'स्वप्नविचार' है। इस ग्रन्थ की रुद्रपल्लीयगच्छ के आचार्य वर्धमानसूरि ने रचना की है । कर्ता का समय ज्ञात नहीं है ।
इस ग्रन्थ में ४ उद्योत हैं: १. दैवतस्वप्नविचार श्लोक ४४, २. द्वासप्ततिमहास्वप्न श्लो० ४५ से ८०, ३. शुभस्वप्नविचार श्लो० ८१ से १२२ और ४. अशुभस्वप्नविचार श्लोक १२३ से १६२ । ग्रन्थ अप्रकाशित है।
इनके अलावा स्वप्नचिंतामणि, स्वप्नलक्षण, स्वप्नसुभाषित, स्वप्नाधिकार, स्वप्नाध्याय, स्वप्नावली, स्वप्नाष्टक आदि ग्रन्थों के नाम भी मिलते हैं ।
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