SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 230
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ज्योतिष यह ग्रन्थ छपा नहीं है । हायन सुन्दर : आचार्य पद्मसुन्दरसूरि ने 'हायनसुन्दर' नामक ज्योतिषविषयक ग्रन्थ की रचना की है। विवाहपटल : 'विवाहपटल' नाम के एक से अधिक ग्रन्थ हैं । अजैन कृतियों में शार्ङ्गधर ने शक सं० १४०० ( वि० सं० १५३५ ) में और पीताम्बर ने शक. सं० १४४४ ( वि० सं० १५७९ ) में इनकी रचना की है। जैन कृतियों में ' विवाहपटल' के कर्ता अभयकुशल या उभयकुशल का उल्लेख मिलता है । इसकी जो हस्तलिखित प्रति मिली है उसमें १३० पद्य हैं, बीच-बीच में प्राकृत गाथाएँ उद्धृत की गई हैं । इसमें निम्नोक्त विषयों की चर्चा है : योनि - नाडी गणश्चैव स्वामिमित्रैस्तथैव च । जुन्जा प्रीतिश्च वर्णश्च लीहा सप्तविधा स्मृता ॥ १८९. नक्षत्र, नाडीवेधयन्त्र, राशिस्वामी, ग्रहशुद्धि, विवाहनक्षत्र, चन्द्र-सूर्यस्पष्टीकरण, एकार्गल, गोधूलिकाफल आदि विषयों का विवेचन है । यह ग्रन्थ प्रकाशित नहीं हुआ है । करणराज : रुद्रपल्लीगच्छीय जिनसुन्दरसूरि के शिष्य मुनिसुन्दर ने वि० सं० १६५५ में 'करणराज' नामक ग्रन्थ' की रचना की है। यह ग्रन्थ दस अध्यायों, जिनको कर्ता ने 'व्यय' नाम से उल्लिखित किया है, में विभाजित है : १. ग्रहमध्यमसाधन, २. ग्रहस्पष्टीकरण, ३. प्रश्नसाधक, ४. चन्द्रग्रहण-साधन, ५. सूर्यसाधक, ६ . त्रुटित होने से विषय ज्ञात नहीं होता, ७. उदयास्त, ८. ग्रहयुद्ध नक्षत्रसमागम, ९. पाताव्यय, १०. निमिशक ( ? ) । अन्त में प्रशस्ति है । १. इसकी ४१ पत्रों की प्रति अहमदाबाद के ला० द० भारतीय संस्कृति: विद्यामन्दिर के संग्रह में है । २. इसकी प्रति बीकानेरस्थित अनूप संस्कृत लायब्रेरी के संग्रह में है । ३. इसकी ७ पत्रों की अपूर्ण प्रति अनूप संस्कृत लायब्रेरी, बीकानेर में है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy