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________________ १८८ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास लालचन्द्रीपद्धति: ___मुनि कल्याणनिधान के शिष्य लब्धिचन्द्र ने 'लालचन्द्रीपद्धति' नामक ग्रंथ वि० सं० १७५१ में रचा है। इस ग्रन्थ में जातक के अनेक विषय हैं। कई सारणियाँ दी हैं। अनेक ग्रन्थों के उद्धरणों और प्रमाणों से यह ग्रंथ परिपूर्ण है। टिप्पनकविधि: मतिविशाल गणि ने 'टिप्पनकविधि' नामक ग्रंथ' प्राकृत में लिखा है । इसका रचना-समय ज्ञात नहीं है । इस ग्रंथ में पञ्चांगतिथिकर्षण, संक्रांतिकर्षण, नवग्रहकर्षण, वक्रातीचार, सरलगतिकर्षण, पञ्चग्रहास्तमितोदितकथन, भद्राकर्षण, अधिकमासकर्षण, तिथिनक्षत्र-योगवर्धन-घटनकर्षण, दिनमानकर्षण आदि १३ विषयों का विशद वर्णन है। होरामकरन्द : आचार्य गुणाकरसूरि ने 'होरामकरन्द' नामक ग्रंथ की रचना की है। रचना-समय ज्ञात नहीं है परन्तु १५ वीं शताब्दी होगा ऐसा अनुमान है । होरा अर्थात् राशि का द्वितीयांश । ___ इस ग्रन्थ में ३१ अध्याय हैं : १. राशिप्रभेद, २. ग्रहस्वरूपबलनिरूपण, ३. वियोनिजन्म, ४. निषेक, ५. जन्मविधि, ६. रिष्ट, ७. रिष्टभंग, ८. सर्वग्रहारिष्टभंग, ९. आयुर्दा, १०. दशम-अध्याय (१), ११. अन्तर्दशा, १२. अष्टकवर्ग, १३. कर्माजीव, १४. राजयोग, १५. नाभसयोग, १६. वोसिवेस्युभयचरी-योग, १७. चन्द्रयोग, १८. ग्रहप्रव्रज्यायोग, १९. देवनक्षत्रफल, .२०. चन्द्रराशिफल, २१. सूर्यादिराशिफल, २२. रश्मिचिन्ता, २३. दृष्ट्यादिफल, २४. भावफल, २५. आश्रयाध्याय, २६. कारक, २७. अनिष्ट, २८. स्त्रीजातक, २९. निर्याण, ३०. द्रेष्काणस्वरूप, ३१. प्रश्नजातक । १. इसकी १४८ पत्रों की १८ वीं शती में लिखी गई प्रति महमदाबाद के ____ लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर में है। २. इसकी १ पत्र की वि० सं० १६९४ में लिखी गई प्रति अहमदाबाद के ला. द. भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर के संग्रह में है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
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