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ज्योतिष
पंचांगपत्रविचार :
'पंचांगपत्रविचार' नामक ग्रंथ की किसी जैन मुनि ने रचना की है । इसमें पंचांग का विषय विशद रीति से निर्दिष्ट है । ग्रंथ का रचना - समय ज्ञात नहीं है । ग्रन्थ प्रकाशित भी नहीं हुआ है । बलिरामानन्दसारसंग्रह :
उपाध्याय भुवनकीर्ति के शिष्य पं० लाभोदय मुनि ने 'बलिरामानन्दसारसंग्रह ' नामक ज्योतिष-ग्रन्थ की रचना की है । इनका समय निश्चित नहीं है । इनके गुरु उपाध्याय भुवनकीर्ति अच्छे कवि थे । इनके वि० सं० १६६७ से १७६० तक के कई रास उपलब्ध हैं । इसलिये पं० लाभोदय मुनि का समय इसी के आस-पास हो सकता है ।
इस ग्रन्थ में सामान्य मुहूर्त्त मुहूर्त्ताधिकार, नाड़ीचक्र, नासिकाविचार, शकुनविचार, स्वप्नाध्याय, अङ्गोपाङ्गस्फुरण, सामुद्रिक संक्षेप, लग्ननिर्णयविधि, नर-स्त्री- जन्मपत्रीनिर्णय, योगोत्पत्ति, मासादिविचार, वर्षशुभाशुभ फल आदि विषयों का विवरण है। यह एक संग्रहग्रंथ' मालूम होता है ।
गणसारणी :
'गणसारणी' नामक ज्योतिष विषयक ग्रन्थ की रचना पार्श्वचन्द्रगच्छीयः जगचन्द्र के शिष्य लक्ष्मीचन्द्र ने वि० सं० १७६० में की है । '
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इस ग्रंथ में तिथिध्रुवांक, अंतरांकी, तिथिकेन्द्रचक्र, नक्षत्रध्रुवांक, नक्षत्र चक्र, योगकेन्द्रचक्र, तिथिसारणी, तिथिगणखेमा, तिथि- केन्द्रघटी अंशफल, नक्षत्रफल - सारणी, नक्षत्र केन्द्रफल, योगगणकोष्ठक आदि विषय हैं ।
यह ग्रन्थ अप्रकाशित है ।
१. इसकी अपूर्ण प्रति ला० द० भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर, अहमदाबाद में है । प्रति-लेखन १९ वीं शती का है।
२. तद्विनेयाः पाठकाः श्रीजगच्चन्द्राः सुकीर्तयः । शिष्येण लक्ष्मीचन्द्रेण कृतेयं सारणी शुभा । संवत् खर्वश्वेन्दु (१७६०) मिते बहुले पूर्णिमातिथौ । कृता परोपकृत्यर्थ शोधनीया च धीधनैः ॥
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