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________________ ज्योतिष इसमें मुथशिल, मचकूल, शूर्लाव - उस्तरलाव आदि संज्ञाओं के प्रयोग मिलते हैं, जो मुस्लिम प्रभाव को सूचना देते हैं। इसमें निम्न विषयों पर प्रकाश डाला गया है : स्थानबल, कायबल, दृष्टिबल, दिक्फल, ग्रहावस्था, ग्रहमैत्री, राशिवैचित्र्य, षड्वर्गशुद्धि, लग्नज्ञान, अंशकफल, प्रकारान्तर से जन्मदशाफल, राजयोग, ग्रहस्वरूप, द्वादश भावों की तत्त्वचिंता, केन्द्रविचार, वर्षफल, निधानप्रकरण, सेवधिप्रकरण, भोजनप्रकरण, ग्रामप्रकरण, पुत्रप्रकरण, रोगप्रकरण, जायाप्रकरण, सुरतप्रकरण, परचंक्रामण, गमनागमन, गज अश्व खड्ग आदि चक्र युद्धप्रकरण, संधिविग्रह, पुष्पनिर्णय, स्थानदोष, जीवितमृत्युफल, प्रवहणप्रकरण, वृष्टिप्रकरण, अर्घकांड, स्त्रीलाभप्रकरण आदि ।' १८५ ग्रन्थ के एक पद्य में कर्ता ने अपना नाम इस प्रकार गुम्फित किया है : श्रीहेलाशालिनां योग्यमप्रभीकृतभास्करम् । भसूक्ष्मेक्षिकया चक्रेऽरिभिः शास्त्रमदूषितम् ॥ इस श्लोक के प्रत्येक चरण के आदि के दो वर्णों में 'श्रीहेमप्रभसूरिभिः' नाम अन्तर्निहित है । जो इसहीर ( ज्योतिषहीर ) : 'जोइसहीर' नामक प्राकृत भाषा के ग्रंथकर्ता का नाम ज्ञात नहीं हुआ है । इसमें २८७ गाथाएँ हैं । ग्रन्थ के अन्त में लिखा है कि 'प्रथमप्रकीर्ण समाप्तम्' । इससे मालूम होता है कि यह ग्रन्थ अधूरा है । इसमें शुभाशुभ तिथि, ग्रह की सबलता, शुभ घड़ियाँ, दिनशुद्धि, स्वरज्ञान, दिशाशूल, शुभाशुभ योग, व्रत आदि ग्रहण करने का मुहूर्त, क्षौर कर्म का मुहूर्त और ग्रह - फल आदि का वर्णन है । ज्योतिसार ( जोइसहीर ) : 'ज्योतिस्सार' ( जोइसहीर ) नामक ग्रन्थ की रचना खरतरगच्छीय उपाध्याय देवतिलक के शिष्य मुनि हीरकलश ने वि० सं० १६२१ में प्राकृत में की है। १. यह ग्रन्थ कुशल एस्ट्रोलॉजिकल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, लाहौर से हिन्दी - अनुवादसहित प्रकाशित हुआ है। पं० भगवानदास जैन ने 'जैन सत्यप्रकाश' वर्ष १२, अंक १२ में अनुवाद में बहुत भूलें होने के सम्बन्ध में ' त्रैलोक्यप्रकाश का हिन्दी अनुवाद' शीर्षक लेख लिखा है । २. यह ग्रन्थ पं० भगवानदास जैन द्वारा हिन्दी में अनूदित होकर नरसिंह प्रेस, कलकत्ता से प्रकाशित हुआ है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
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