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________________ १७८ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास ___ महिमोदय मुनि ने 'ज्योतिष्-रत्नाकर' आदि ग्रन्थों की रचना भी की है जिनका परिचय आगे दिया गया है । मानसागरीपद्धति: 'मानसागरी' नाम से अनुमान होता है कि इसके कर्ता मानसागर मुनि होंगे। इस नाम के अनेक मुनि हो चुके हैं इसलिये कौन-से मानसागर ने यह कृति बनाई इसका निर्णय नहीं किया जा सकता। यह ग्रन्थ पद्यात्मक है । इसमें फलादेश-विषयक वर्णन है। प्रारंभ में आदिनाथ आदि तीर्थंकरों और नवग्रहों की स्तुति करके जन्मपत्री बनाने की विधि बताई है। आगे संवत्सर के ६० नाम, संवत्सर, युग, ऋतु, मास, पक्ष, तिथि, वार और जन्मलग्न-राशि आदि के फल, करण, दशा, अंतरदशा तथा उपदशा के वर्षमान, ग्रहों के भाव, योग, अपयोग आदि विषयों की चर्चा है। प्रसंगवश गणनाओं की भिन्न-भिन्न रीतियां बताई हैं। नवग्रह, गजचक्र, यमदंष्ट्राचक्र आदि चक्र और दशाओं के कोष्ठक दिये हैं।' फलाफलविषयक प्रश्नपत्र : 'फलाफलंविषयक प्रश्नपत्र' नामक छोटी-सी कृति उपाध्याय यशोविजय गणि की रचना हो ऐसा प्रतीत होता है। वि० सं० १७३० में इसकी रचना हुई है। इसमें चार चक्र हैं और प्रत्येक चक्र में सात कोष्ठक हैं। बीच के चारों कोष्ठकों में "ॐ ह्री श्री अह नमः" लिखा हुआ है। आसपास के छ:-छः कोष्ठकों को गिनने से कुल २४ कोष्ठक होते हैं। इनमें ऋषभदेव से लेकर महावीरस्वामी तक के २४ तीर्थंकरों के नाम अंकित हैं। आसपास के २४ कोष्ठकों में २४ बातों को लेकर प्रश्न किये गए हैं : १. कार्य की सिद्धि, २. मेघवृष्टि, ३. देश का सौख्य, ४. स्थानसुख, ५. ग्रामांतर, ६. व्यवहार, ७. व्यापार, ८. व्याजदान, ९. भय, १०. चतुष्पाद, ११. सेवा, १२. सेवक, १३. धारणा, १४. बाधारुधा, १५. पुररोध, १६. कन्यादान, १७. वर, १८. जयाजय, १९. मन्त्रौषधि, २०. राज्यप्राप्ति, २१. अर्थचिन्तन, २२. संतान, २३. आगंतुक और २४. गतवस्तु । उपर्युक्त २४ तीर्थकरों में से किसी एक पर फलाफलविषयक छः-छः उत्तर हैं। जैसे ऋषभदेव के नाम पर निम्नोक्त उत्तर हैं: १. यह ग्रंथ वेंकटेश्वर प्रेस, बंबई से वि० सं० १९६१ में प्रकाशित हुमा है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
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