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ज्योतिष
चतुर्विंशिकोद्धार-अवचूरिः ___ 'चतुर्विंशिकोद्धार' ग्रन्थ पर नरचंद्र उपाध्याय ने अवचूरि भी रची है। यह अवचूरि प्रकाशित नहीं हुई है। ज्योतिस्सारसंग्रह:
नागोरी तपागच्छीय आचार्य चन्द्रकीर्तिसूरि के शिष्य हर्षकीर्तिसूरि ने वि० सं० १६६० में 'ज्योतिस्सारसंग्रह' नामक ग्रन्थ की रचना की है। इसे 'ज्योतिषसारोद्धार' भी कहते हैं । यह ग्रन्थ तीन प्रकरणों में विभक्त है।'
ग्रन्थकार ने भक्तामरस्तोत्र, लघुशान्तिस्तोत्र, अजितशान्तिस्तव, उवसग्गहरथोत्त, नवकारमंत आदि स्तोत्रों पर टोकाएँ लिखी हैं । १. जन्मपत्रीपद्धति:
नागोरी तपागच्छीय आचार्य हर्षकीर्तिसूरि ने करीब वि० सं० १६६० में 'जन्मपत्रीपद्धति' नामक ग्रन्थ की रचना की है।
सारावली, श्रीपतिपद्धति आदि विख्यात ग्रन्थों के आधार से इस ग्रन्थ की संकलना की गई है। इसमें जन्मपत्री बनाने की रीति, ग्रह, नक्षत्र, वार, दशा आदि के फल बताये गये हैं। २. जन्मपत्रीपद्धति : __ खरतरगच्छीय मुनि कल्याणनिधान के शिष्य लब्धिचन्द्रगणि ने वि० सं० १७५१ में 'जन्मपत्रीपद्धति' नामक एक व्यवहारोपयोगी ज्योतिष-ग्रन्थ की रचना की है। इस ग्रन्थ में इष्टकाल, भयात, भभोग, लग्न और नवग्रहों का स्पष्टीकरण आदि गणित-विषयक चर्चा के साथ-साथ जन्मपत्री के सामान्य फलों का वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ प्रकाशित नहीं हुआ है। ३. जन्मपत्रीपद्धति : ___ मुनि महिमोदय ने 'जन्मपत्रीपद्धति' नामक ग्रन्थ की रचना वि० सं० १७२१ में की है। ग्रन्थ पद्य में है। इसमें सारणी, ग्रह, नक्षत्र, वार आदि के फल बताये गये हैं। १. अहमदाबाद के डेला भंडार में इसकी हस्तलिखित प्रति है। २. इस ग्रंथ की ५३ पत्रों की प्रति अहमदाबाद के ला० द. भारतीय संस्कृति
विद्यामंदिर में है। ३. इस ग्रंथ की १० पत्रों की प्रति अहमदाबाद के लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर में है। १२
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