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________________ ज्योतिष बेडाजातकवृत्ति: 'जन्मसमुद्र' पर नरचन्द्र उपाध्याय ने 'बेडाजातक' नामक स्वोपज्ञ-वृत्ति की रचना वि. सं. १३२४ की माघ-शुक्ला अष्टमी ( रविवार ) के दिन की है। यह वृत्ति १०५० श्लोक-प्रमाण है । यह ग्रन्थ अभी छपा नहीं है। नरचन्द्र उपाध्याय ने प्रश्नशतक, शानचतुर्विंशिका, लग्नविचार, ज्योतिषप्रकाश, ज्ञानदीपिका आदि ज्योतिष-विषयक अनेक ग्रन्थ रचे हैं। प्रश्नशतक: कासहृद्गच्छीय नरचन्द्र उपाध्याय ने 'प्रश्नशतक' नामक ज्योतिष-विषयक ग्रंथ वि० सं० १३२४ में रचा है। इसमें करीब सौ प्रश्नों का समाधान किया है। यह ग्रंथ छपा नहीं है। प्रश्नशतक-अवचूरिः नरचन्द्र उपाध्याय ने अपने 'प्रश्नशतक' ग्रन्थ पर वि. सं. १३२४ में स्वोपज्ञ अवचूरि की रचना की है। यह ग्रंथ प्रकाशित नहीं हुआ है। ज्ञानचतुर्विशिका: कासहृद्गच्छीय उपाध्याय नरचन्द्र ने 'ज्ञानचतुर्विशिका' नामक ग्रंथ की २४ पद्यों में रचना करीब वि० सं० १३२५ में की है । इसमें लग्नानयन, होराद्यानयन, प्रश्नाक्षराल्लग्नानयन, सर्वलग्नग्रहबल, प्रश्नयोग, पतितादिज्ञान, पुत्रपुत्रीशान, दोषज्ञान, जयपृच्छा, रोगपृच्छा आदि विषयों का वर्णन है। यह ग्रंथ अप्रकाशित है। ज्ञानचतुर्विशिका-अवचूरि: 'ज्ञानचतुर्विशिका' पर उपाध्याय नरचन्द्र ने करीब वि० सं० १३२५ में स्वोपश अवचूरि की रचना की है। यह ग्रंथ प्रकाशित नहीं हुआ है। ज्ञानदीपिका : ___ कासहृद्गच्छीय उपाध्याय नरचन्द्र ने 'ज्ञानदीपिका' नामक ग्रन्थ की रचना करीब वि० सं० १३२५ में की है। १. इसकी १ पत्र की प्रति लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, अहमदाबाद में है। यह वि० सं० १७०८ में लिखी गई है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
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