SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 167
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास काव्यप्रकाश-वृत्ति उपाध्याय यशोविजयगणि ने 'काव्यप्रकाश' पर एक वृत्ति १७ वीं सदी में बनाई थी, जिसका थोड़ा-सा अंश अभी तक मिला है। काव्यप्रकाश-खण्डन ( काव्यप्रकाश-विवृति): महोपाध्याय सिद्धिचन्द्रगणि ने मम्मटरचित 'काव्यप्रकाश' की टीका लिखी है, जिसका नाम उन्होंने ग्रन्थ के प्रारंभ के पद्य ३ में 'काव्यप्रकाश. विवृति' बताया है परंतु पद्य ५ में 'खण्डनताण्डवं कुर्मः' और 'तत्रादावनुवादपूर्वक काव्यप्रकाशखण्डनमारभ्यते' ऐसे उल्लेख होने से इस टीका का नाम 'काव्यप्रकाशखण्डन' ही मालूम पड़ता है। रचना-समय वि० सं० १७१४ के करीब है। इस टीका में दो स्थलों पर 'अस्मत्कृतबृहट्टीकातोऽवसेयः' और 'गुरुनाम्ना वृहट्टीकातः' ऐसे उल्लेख होने से प्रतीत होता है कि इन्होंने इस खण्डनात्मक टीका के अलावा विस्तृत व्याख्या की भी रचना की थी, जो अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। टीकाकार ने यह रचना आलोचनात्मक दृष्टि से बनाई है। आलोचना भी काव्यप्रकाशगत सब विचारों पर नहीं की गई है परंतु जिन विषयों में टीकाकार का कुछ मतभेद है उन विचारों का इसमें खण्डन करने का प्रयास किया गया है। काव्य की व्याख्या, काव्य के भेद, रस और अन्य साधारण विषयों के जिनं उल्लेखों को टीकाकार ने ठीक नहीं माना उन विषयों में अपने मन्तव्य को व्यक्त करने के लिये उन्होंने प्रस्तुत टीका का निर्माण किया है। सिद्धिचंद्रगणि की अन्य रचनाएँ इस प्रकार हैं : १. कादम्बरी-(उत्तरार्ध) टीका, २. शोभनस्तुति-टीका, ३. वृद्धप्रस्तावोक्तिरत्नाकर, ४. भानुचन्द्रचरित, ५. भक्तामरस्तोत्र-वृत्ति, ६. तर्कभाषा-टीका, ७. सप्तपदार्थी-टीका, ८. जिनशतक-टीका, ९. वासवदत्ता-वृत्ति अथवा व्याख्याटीका, १०. अनेकार्थोपसर्ग-वृत्ति, ११. धातुमञ्जरी, १२. आख्यातवाद-टीका, १३. प्राकृतसुभाषितसंग्रह, १४. सूक्तिरत्नाकर, १५. मङ्गलवाद, १६. सप्तस्मरण १. शाहेरकब्बरधराधिपमौलिमौलेश्चेतःसरोरुहविलासषडंहितुल्यः । विद्वच्चमत्कृतकृते बुधसिद्धिचन्द्रः कान्यप्रकाशविवृति कुरुतेऽस्य शिष्यः ॥ २. यह ग्रन्थ 'सिंघी जैन ग्रन्थमाला' में छप गया है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy