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________________ १२४ जैन साहित्य का वृहद् इतिहास रचना की है। इसकी वि० सं० १७५८ की हस्तलिखित प्रति बंगला लिपि काव्यालंकास्वृत्ति ___ महाकवि रुद्रट ने करीब वि० सं० ९५० में 'काव्यालंकार' की १६ अध्यायों में रचना की है। कवि भामह और वामन ने भी अपने अलंकारग्रंथों का नाम 'काव्यालंकार' रखा है। रुद्रट ने अलंकारों के वर्गीकरण के लिए सैद्धांतिक व्यवस्था की है। अलंकारों का वर्णन ही इस ग्रंथ की विशेषता है । ग्रंथ में दिये हुए उदाहरण इनके अपने हैं । नौ रसों के अतिरिक्त दसवें 'प्रेयस्' नामक रस का निर्देश किया गया है। तीसरे अध्याय में यमक के विषय में ५८ पद्य हैं । पाँचवें अध्याय में चित्रबंधों का विवरण है। __ इस 'काव्यालंकार' पर नमिसाधु ने वि० सं० ११२५ में वृत्ति, जिसे 'टिप्पन' कहते हैं, की रचना की है। ये नमिसाधु थारापद्रगन्छीय शालिभद्र के शिष्य थे। इन्होंने अपने पूर्व के कवियों और आलंकारिकों तथा उनके ग्रंथों का नामनिर्दश किया है। नमिसाधु ने अपभ्रंश के १. उपनागर, २. आभीर और ३. ग्राम्य-इन तीन भेदों से संबंधित मान्यताओं के विषय में उल्लेख किया है जिनका रुद्रट ने निरास करते हुए अपभ्रंश के अनेक प्रकार बताये हैं। देश-प्रदेशभेद से अपभ्रंश भाषा भी तत्तत् प्रकार की होती है। उनके लक्षण उन-उन देशों के लोगों से जाने जा सकते हैं। __ नमिसाधु ने 'आवश्यकचैत्यवंदन-वृत्ति' की रचना वि० सं० ११२२ में की है। काव्यालंकार-निबन्धनवृत्ति : ___ दिगम्बर विद्वान् आशाधर ने रुद्रट के 'काव्यालंकार' पर 'निबंधन' नामक वृत्ति की रचना वि० सं० १२९६ के आस-पास में की है। काव्यप्रकाश-संकेतवृत्ति : __ महाकवि मम्मट ने करीच वि० सं० १११० में 'काव्यप्रकाश' नामक काव्यशास्त्र के अतीव उपयोगी ग्रंथ की रचना की है। इसमें १० उल्लास हैं और १४३ कारिकाओं में सारे काव्यशास्त्र की लाक्षणिक बातों का समावेश किया गया है । इस ग्रंथ पर स्वयं मम्मट ने वृत्ति रची है। उसमें उन्होंने अन्य ग्रंथ. , रौद्रटस्य व्यधात् कान्यालंकारस्य निबन्धनम् ॥-सागारधर्मामृत, प्रशस्ति. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002098
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, & Grammar
File Size12 MB
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